उत्तराखंड में मॉनसून ने अपनी दिक्कतें देनी शुरू कर दी है। भले ही यह मॉनसून उत्तराखंड में देरी से आया हो लेकिन अब इसने अपना रंग उत्तराखंड के पहाड़ी इलाको में दिखना शुरू कर दिया है। कभी बादल फटने की घटना सामने आती है, तो कभी भूस्खलन की घटना सामने आती रही है। इस बीच एक और घटना सामने आ रही है। यह घटना चमोली जिले से सामने आ रही है। जहां देर रात नीति घाटी के रेणी गांव के आसपास पहाड़ का खिंचाव हुआ हैं। बता दें की नीती घाटी के जुग्जू गांव के ठीक शीर्ष भाग से चट्टान से भूस्खलन होने के बाद सहमे ग्रामीणों ने मंगलवार की रात जंगलों में बिताई. इस दौरान भारी मात्रा में मलबा और बोल्डर गांव के पास तक आ गए. हालांकि फिलहाल गांव में कोई नुकसान नहीं हुआ है. प्रशासन की टीम ने मौके पर पहुंचकर पुरे इलाके का जायजा लिया.हर खबर पर हैं शंखनाद न्यूज़ की नज़र …. 

जूग्जू ग्राम प्रधान पूरण सिंह राणा ने बताया कि जुग्जू गांव के ऊपर मंगलवार दोपहर को भूस्खलन हो गया था और ग्रामीणों ने भागकर जान बचाई थी. इसके बाद भूस्खलन थमा तो ग्रामीण घरों को लौट गए लेकिन रात आठ बजे फिर पहाड़ी से भूस्खलन शुरू हो गया. ऐसे में ग्रामीणों ने रात को ही घर छोड़कर दिए और गांव से करीब पांच सौ मीटर दूर जंगल की गुफा में पहुंच गए. ग्रामीणों ने यहीं पूरी रात बिताई. पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य संग्राम सिंह का कहना है कि गांव में 16 परिवार रहते हैं ग्रामीणों के अनुसार बीते कई सालों से ये पहाड़ी दरकने से ग्रामीण मानसून में अपनी जान बचाने के लिए कोशिश करते रहे हैं. इसी के चलते 1994 से इस गांव के विस्थापन की मांग हो रही है लेकिन अभी तक इस गांव का विस्थापन नहीं हो पाया है. मंगलवार को हुए भूस्खलन से ग्रामीणों की सजगता से ग्रामीण बच गए. अगर थोड़ी भी देर गांव वालों ने गांव से भागने में की होती तो गांव में कई लोग अपनी जान से हाथ धो सकते थे.