चंद्रशेखर जोशी/
 पिटकुल के अधिकारी इस बड़े गड़बड़ घोटाले को शासन तक पहुंचने ही नहीं दे रहे हैं।
 मामला पीएमओ ऑफिस तक भी पहुंच चुका है लेकिन कहीं ना कहीं विभाग में बैठे बड़े अधिकारियों की ऊंची पहुंच के कारण कार्यवाही के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही की गई है । साथ ही पीएमओ ऑफिस के आदेशों की तो बड़े अधिकारी अपनी पहुंच और हनक के चलते विजिलेंस जांच को भी दबा कर बैठे हुए हैं।
बड़े- बड़े घोटाले :करोड़ों की बंदरबांट :महालेखाकार ऑडिट उत्तराखंड ने भी कड़ी आपत्ति दर्ज की : मानकों को ध्यान में नहीं रखा गया जिससे ट्रांसफार्मरों मैं खराबी आने शुरू :आईएमपी कंपनी से पिटकुल ने लगभग 26-27 ट्रांसफॉर्मर खरीदे थे । इनकी सबकी खरीद की जांच होनी जरूरी :अधिकारी नई महिला जेई का यौन शोषण करता है। यह अधिकारी अनिल कुमार यादव ही है । इन महाशय ने कुमारी स्वाति वर्मा जेई को इतना परेशान किया कि स्वाति वर्मा को सीएमडी को योन शोषण के कारण लिखित शिकायत करनी पड़ी ।
उत्तराखंड में तीन ऊर्जा निगम है जिसमें पिटकुल पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन ओफ़ उत्तराखंड लिमिटेड एक ऐसा निगम है जहां पर मनमानी का सारा खेल यहीं पर चलाया जाता है ।सांठगांठ से यहाँ पर बड़े- बड़े घोटाले किये गए ताकि करोड़ों बंदरबांट की जा सके । इसमे बड़े विभागीय अधिकारी भी आंख मूंदकर शामिल थे ।
ताजा मामला 2013 का है उत्तराखंड सरकार ने टेंडरिंग के माध्यम से ट्रांसफार्मर खरीदने के लिए टेंडर जारी किए। जिसके माध्यम से 7 ट्रांसफार्मर खरीदे गए इस इस टेंडर प्रक्रिया में एल्सटॉम कंपनी ने भी हिस्सा लिया था ।एल्सटॉम कंपनी ने टेंडर को अपने हक में करने के लिए 20 एमवीए और 160 एमवीए ट्रांसफार्मर में सबसे कम रेट रखा था विभागीय अधिकारियों द्वारा साठगांठ कर ट्रांसफार्मर खरीद का टेंडर अपने चहेते कंपनी आई एम पी को दे दिए।
मामला इस प्रकार है कि विभाग ने 160 एमवीए के 2 नग ट्रांसफार्मर खरीदने के का ऑर्डर कंपनी को एल्सटॉम कंपनी को कर तो दिया लेकिन उस आर्डर को कैंसिल करके यह आर्डर अपनी चहेती कंपनी आईएमपी जो एल 2 थी को दे दिया ।इस पर एल्सटॉम कंपनी ने विभाग पर विवाद दायर कर दिया । आरोप है कि यह बड़ी गड़बड़ी थी क्योंकि आई एम पी कंपनी टेंडरिंग प्रक्रिया में दूसरे नंबर पर थी। ऐसा जानकारी में आया है कि अनिल कुमार यादव जो उस समय चीफ इंजीनियर थे उनके आईएम्पी कंपनी से संबंध थे ।
मामला सिर्फ इतना ही नही है टेंडर खुलने के बाद टेक्निकल पैरामीटर में बदलाव कर टेंडर को अपने चहेते कंपनी को दिलाने में विभागीय अधिकारी कहीं भी पीछे नहीं हटे।
टेंडर खुलने के बाद टेक्निकल पैरामीटर में बदलाव और उससे भी अधिक एल 1 आर्डर को कैंसिल कर आर्डर एल 2 कंपनी को कर देना उत्तराखंड प्रोक्योरमेंट रूल्स तथा सेंट्रल विजिलेंस कमीशन के नियमो का बड़ा उल्लघंन है । इस पर महालेखाकार ऑडिट उत्तराखंड ने भी कड़ी आपत्ति दर्ज की है ।
कहीं ना कहीं ऊंची पैठ तथा पैसे के चलते अभी तक शासन द्वारा इन अधिकारियों पर कोई भी कार्यवाही नहीं की गई है।
विभागीय अधिकारियों ने जब आईएमपी कंपनी को मार्च 2014 में वर्क आर्डर दिया कंपनी द्वारा इस आर्डर को एक डेढ़ हफ्ते के अंदर ही विभाग को सभी ट्रांसफार्मर उपलब्ध करा दिए गए इससे साफ होता है कि विभागीय अधिकारियों और कंपनी के बीच सांठगांठ का खेल चल रहा था इससे साफ होता है कि किसी भी बड़े ट्रांसफार्मर को बनने में 6 महीने का लंबा वक्त लगता है लेकिन कंपनी द्वारा एक हफ्ते के अंदर ही तमाम ट्रांसफार्मरों की सप्लाई विभाग को कर दी गई सवाल यह भी उठता है कि कहीं ना कहीं कंपनी के पास ट्रांसफार्मर पहले से ही उपलब्ध थे और कंपनी ने उन ट्रांसफार्मरों को विभाग को सप्लाई कर दिया ट्रांसफार्मर आने के कुछ समय बाद से ही ट्रांसफार्मरों में खराबी की शिकायत आने लगी ।ट्रांसफार्मरों को कंपनी ने सप्लाई तो कर दिया हां लेकिन कहीं ना कहीं मानकों को ध्यान में नहीं रखा गया जिससे ट्रांसफार्मरों मैं खराबी आने शुरू हो गई साथ ही जिन ट्रांसफार्मरों को अप्रूवल दिया गया था उनकी फिटनेस की भी सभी जांच नहीं की गई । कहीं ना कहीं चहेती कंपनी को लाभ देने के लिए इस टेंडर प्रक्रिया और खरीद प्रक्रिया में विभागीय अधिकारियों की सांठगांठ नजर आ रही है करोड़ों के ट्रांसफार्मर खरीदे गए और वह खराब भी हो गए लेकिन ना तो सरकार इस पर कार्यवाही करने की जहमत उठाई और ना ही विभाग इस प्रकरण में कोई कार्यवाही की मामला साफ हो गया है कि कहीं ना कहीं चहीतो को लाभ देने के लिए और अपनी जेबों को गरम करने के लिए इन सभी घोटालों को किया गया था ।
मौजूदा सरकार और पूर्वोत्तर सरकार भी इस मामले मैं अपनी चुप्पी साधे बैठी है सरकार के पास इस जांच का कोई भी विवरण उपलब्ध नही है कि किन अधिकारियों पर जांच हुई और इन पर कार्यवाही की गई मामला साफ हो गया है कि बड़े अधिकारियों की पकड़ राजधानी देहरादून से दिल्ली तक है जिसका नतीजा है कि बड़े अधिकारी सरकारी सेवाओं का लाभ उठाकर विभाग को अपनी जागीर समझे बैठे हैं। अगर जांच शासन स्तर पर की जा रही थी तो अभी तक उन अधिकारियों पर कार्यवाही क्यों नहीं की गई। ऐसा जानकारी में आया है कि आईएमपी कंपनी से पिटकुल ने लगभग 26-27 ट्रांसफॉर्मर खरीदे थे । इनकी सबकी खरीद की जांच होनी जरूरी है ।
दूसरा मामला बहुत गंभीर है । जब नए एई या जेई विभाग में नॉकरी जॉइन करते है तो वह अधिकारियों को अपने सरक्षक की तरह मानते है । पर यहाँ का अधिकारी नई महिला जेई का यौन शोषण करता है। यह अधिकारी अनिल कुमार यादव ही है । इन महाशय ने कुमारी स्वाति वर्मा जेई को इतना परेशान किया कि स्वाति वर्मा को सीएमडी को योन शोषण के कारण लिखित शिकायत करनी पड़ी । सीएमडी ने अनिल कुमार को चेतावनी भी जारी की व जांच के आदेश भी दिए ।लेकिन वही ढाक के तीन पांत । पैसे के बल पर अनिल कुमार यादव जांच में गोल मोल कर बच निकले । जांच भी नियमानुसार नही हुई । सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के सन 1997 के विशाका व अन्य के निर्णय के अनुसार निर्देशो का पालन ही नही किया गया । यह घटना उत्तराखंड की देव भूमि के लिए कलंक है ।हम झुटे को ही बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देते हैं इसका पालन नही करते हैं ।देखते है अब इसके बाद भी सरकार कूच करती है या नही ।

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