रुद्रप्रयाग। उत्तराखंड के चारधाम यात्रा पर हर साल बढ़ती तीर्थयात्रियों की संख्या पर्यावरण के लिए नई चुनौती बनती जा रही है। लाखों श्रद्धालु जहां आस्था और पुण्य अर्जित कर लौट रहे हैं, वहीं पीछे हजारों टन कूड़ा छोड़ रहे हैं। इस सीजन में केवल केदारनाथ धाम से ही 2,324 टन कूड़ा एकत्र किया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 324 टन अधिक है।

केदारनाथ धाम में इस बार रिकॉर्ड 17.68 लाख यात्री पहुंचे, जिसके साथ कूड़े की मात्रा भी नई ऊंचाई पर पहुंच गई। सोनप्रयाग से केदारनाथ घोड़ा पड़ाव तक कूड़ा प्रबंधन की जिम्मेदारी सुलभ इंटरनेशनल के पास है। संस्था के प्रबंधक धनंजय पाठक के अनुसार, इस सीजन में पैदल मार्ग से 2,300 टन कचरा उठाया गया, जिसे निस्तारण के लिए रुद्रप्रयाग मुख्यालय तक पहुंचाने में ही 74 लाख रुपये खर्च हुए।

उच्च हिमालयी क्षेत्रों में प्लास्टिक और थर्मोकोल जैसे गैर-नाशवान कचरे का इस्तेमाल लगातार चिंता बढ़ा रहा है। तमाम पाबंदियों और जागरूकता अभियानों के बावजूद यात्री इनका उपयोग कम नहीं कर पा रहे हैं। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि मनमाने ढंग से फैलाया गया कचरा हिमालय की नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रतिकूल असर डाल रहा है।

चारधाम यात्रा में अब तक 47.90 लाख श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं, जो पिछले साल के 46.37 लाख की तुलना में अधिक है। बढ़ती भीड़ के साथ कूड़े का आंकड़ा भी हर साल नया रिकॉर्ड बना रहा है।