प्रेस को संबोधित करते हुए जोत सिंह बिष्ट (Jot Singh Bisht) ने बताया की वर्तमान में जो हालत हैं वह उत्तराखंड (Uttarakhand) की जनता के लिए कोई अच्छा संदेश नहीं दे रहे हैं क्योंकि उत्तराखंड की भारतीय जनता पार्टी की सरकार जनता की गाढ़ी कमाई से मोटा टैक्स वसूल कर रही है। राज्य पर भारी कर्ज का बोझ लाद रही है। जनता पर महंगाई की मार कर रही है और उसके बाद उस पैसे का उपयोग जनहित में करने के बजाय, विकास कार्यों पर खर्च करने के बजाय, बजट का बड़ा हिस्सा सरकार में बैठे लोगों, अधिकारियों, कर्मचारियों पर खर्च करते हुए विकास कार्यों के लिए निर्धारित कुल बजट के बहुत छोटे हिस्से को भी विगत 9 महीनों में अनुपातिक रूप से खर्च नहीं कर सकी और अब साल के आखिरी 3 महीनों में आपसी बंदरबांट करके जनता के टैक्स के पैसे की चोरी करने का कुचक्र कर रही हैं।
राज्य सरकार ने मार्च में कुल 63173 करोड़ का बजट पेश किया था। जिसमें से 51185 करोड़ रुपए राजस्व मद में मतलब कि इस मद से सरकार चलाई जाएगी और 11988 करोड़ रुपए पूंजी गत मद में मतलब विकास के काम पर खर्च करने का प्रावधान किया था। सही बात यह है कि सरकार कुल बजट की लगभग 80% से अधिक धन राशि जनता के हितों को साधने के बजाय सरकार चलाने के लिए, राजनेताओं, अधिकारियों, कर्मचारियों के वेतन-भत्ते गाड़ी घोड़े, सुख सुविधा में खर्च कर रही है और मात्र 15 से 17 प्रतिशत धन राशि विकास कार्यों पर खर्च कर रही है। वार्ता करते हुए बिष्ट ने कहा राज्य सरकार ने मार्च में पेश बजट में विकास कार्यों के लिए विभाग वार जितनी धन राशि का प्रावधान किया था किसी भी विभाग ने उसमे से विगत 9 महीनों में संतोष जनक धनराशि का जनहित में उपयोग नहीं कर पाई है। सरकार ने विगत विधानसभा सत्र में पिछला पैसा खर्च ना कर पाने के बावजूद फिर से 5440 करोड़ का अनुपूरक बजट पेश करके सदन से खर्च करने की अनुमति मांगी हैं।
राज्य की जनता के साथ धोखा
जो सरकार अपने मूल बजट का पैसा खर्च नहीं कर पा रही है आखिर उसको अनुपूरक बजट के माध्यम से अतिरिक्त धनराशि क्यों माँगनी पड़ी यह एक बड़ा सवाल हैं। राज्य के विकास के सूचकांक वाले कुछ महत्वपूर्ण विभागों के बजट के खर्च पर अगर एक नजर डाले तो वह सरकार के नाकारेपन का आइना दिखा रहा हैं। विगत 9 महीनों में विभागवार जारी बजट में से सिंचाई विभाग ने मात्र 15%, ऊर्जा विभाग ने मात्र 19%, आपदा प्रबंधन विभाग ने 23%, माध्यमिक शिक्षा विभाग ने 24%, खेल विभाग ने 26%, शहरी विकास विभाग ने 27%, पर्यटन विभाग ने 30%, पेयजल विभाग ने 34%, लोक निर्माण विभाग ने 36% तथा ग्रामीण विकास विभाग ने 42% बजट ही खर्च किया हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि राज्य की आधी आबादी के सशक्तिकरण यानि महिला सशक्तिकरण, बल विकास विभाग में इन 9 महीनों में आवंटित कुल 56 करोड़ के सापेक्ष अब तक कोई खर्च नहीं किया।
राज्य की जनता पर भारी टैक्स (Tax) लगाकर, नए साल के अवसर पर चौबीसों घंटे शराब बेच कर पैसा कमाने वाली यह सरकार, अपने ऐशोआराम के लिए बाजार से कर्ज लेकर जनता के सर पर कर्ज का बोझ लादने वाली यह सरकार, उत्तराखंड के शहीदों की भावना के साथ खिलवाड़ कर रही हैं। राज्य की जनता के साथ धोखा कर रही हैं। भाजपा सरकार में बैठे लोगों को अगर थोड़ी भी समझ होती तो उनको दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरिवल (Chief Minister Arvind Kejriwal) के विकास के मॉडल का अनुसरण करते हुए उत्तराखंड में घाटा रहित बजट पेश करके साल के सभी 12 महीनों में कर्म ही पूजा है के सिद्धांत पर काम करते हुए जनता के पैसा का सदुपयोग जनता के हित में करना चाहिए था। लेकिन भ्रष्टाचार में लिप्त इस सरकार द्वारा अब आखिर के 3 महीनों में बची हुई रकम को ठिकाने लगाने का काम किया जाएगा। आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) की सरकार के काम काज पर पैनी नजर हैं, हमारे साथियों द्वारा सरकार मे व्याप्त भ्रष्ष्टाचार के खिलाफ नए वर्ष में प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में सघन जनजागरण अभियान चला कर राज्य की जनता के सामने इस भ्रष्ट और नाकारी भाजपा सरकार का चेहरा बेनकाब किया जाएगा।