शंखनाद_INDIA/दिल्लीः आवेदन करने के बाद पिछले 8 साल से राशन कार्ड पाने का इंतजार कर रही महिला की याचिका पर उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है। न्यायालय ने केंद्र से जवाब तब मांगा जब दिल्ली सरकार ने कहा कि 2011 के जनगणना के अनुसार राजाधनी में सिर्फ 72 लाख राशन कार्ड जारी करने की सीमा तय की गई थी जो पूरी हो गई है। दिल्ली सरकार ने कहा कि मजदूर को राशन कार्ड जारी नहीं होने में उसे जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली के समक्ष पेश दिल्ली सरकार ने बताया कि 2011 की जनगणना के आधार पर केंद्र ने 72 लाख राशन कार्डों की सीमा तय की है जो पूरी हो चुकी है। अदालत एक दैनिक वेतनभोगी मजदूर की याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसने अपने परिवार के सभी सदस्यों के नाम के साथ राशन कार्ड जारी करने का अनुरोध किया है।
अधिवक्ता जयश्री सतपुते और तृप्ति पोद्दार के माध्यम से दाखिल याचिका में महिला ने कहा है कि सितंबर 2013 में राशन कार्ड के लिए आवेदन करने और इसके बाद कई बार अभ्यावेदन देने के बावजूद, सक्षम प्राधिकार द्वारा अब तक राशन कार्ड जारी नहीं किया। महिला ने याचिका में कहा है कि वह और उसका परिवार दक्षिण दिल्ली में एक जुग्गी में रहता है और 2005 में उसके पति के नाम से जारी राशन कार्ड को अधिकारियों ने 2013 में एकतरफा रद्द कर दिया था। याचिकाकर्ता में राशन कार्ड जारी नहीं करके उसे और उसके परिवार को उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।