शंखनाद INDIA:

देहरादून: रक्षाबंधन का त्योहार 11 अगस्त यानी गुरुवार को मनाया जाएगा। इस साल राखी के त्योहार पर लोग भद्रा के साये को लेकर अस्पष्ट थे। ऐसे में ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि इस साल भद्रा का साया पाताल लोक में है। इसलिए पृथ्वी पर होने वाले शुभ कार्यों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। अपको बता दें की रक्षाबंधन पर भद्रा के साये में भाई की कलाई पर राखी बांधना अशुभ समझा जाता है।

गढ़ी कैंट स्थित टपकेश्वर महादेव मंदिर के दिगंबर रवि गिरी का कहना है कि –

इस बार 11 अगस्त को लगने वाली भद्रा ना तो स्वर्ग में और ना ही पृथ्वीलोक में लगने वाली है। जबकि यह भद्रा पाताल लोक में लगेगी। जिसका कोई भी असर ब्राहांड पर नहीं पड़ने वाला है। ऐसे में 11 अगस्त को रक्षाबंधन पर्व पर बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांध सकती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि 11 अगस्त को रक्षाबंधन का अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजे से दोपहर 12:45 बजे तक रहेगा।

तो वहीं ज्योतिषाचार्य आचार्य डॉ. सुशांत राज ने बताया कि रक्षाबंधन का पवित्र पर्व भद्रारहित दोपहर व्यापिनी पूर्णिमा में करने का विधान है। इस साल 11 अगस्त को अपराह्न व्यापिनी पूर्णिमा भद्रादोष व्याप्त है और 12 अगस्त शुक्रवार को पूर्णिमा त्रिमुहूर्त व्यापिनी नहीं है।

इसका मतलब है कि बृहस्पतिवार व शुक्रवार को यह पर्व मना सकते हैं। 12 अगस्त को अभिजित मुहूर्त दोपहर 2:15 बजे से तीन बजे तक है। ज्योतिषाचार्य पंडित विष्णु प्रसाद भट्ट ने कहा कि सुप्रसिद्ध धर्म ग्रन्थों निर्णय सिन्धु, धर्म सिन्धु, पुरुषार्थ चिन्तामणि, कालमाधव, निर्णयामृत आदि के अनुसार 12 अगस्त को पूर्णिमा तिथि दो मुहूर्त से कम होने के कारण 11 अगस्त को ही श्रावणी उपाकर्म व रक्षाबंधन शास्त्र सम्मत हैं। किसी भी हालत में पर्व दो दिन न हो यह प्रयास करें।

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