उत्तराखंड के चमोली जिले स्थित माणा गांव के पास केशव प्रयाग में 13 मई यानी बुधवार से पुष्कर कुंभ का आगाज हो गया है। सुबह छह बजे से ही सरस्वती मंदिर में विशेष पूजाएं शुरू हुईं और इसी के साथ श्रद्धालुओं ने सरस्वती और अलकनंदा के पवित्र संगम पर स्नान करना शुरू कर दिया है।
माणा में हुआ पुष्कर कुंभ का आगाज
बुधवार को माणा गांव में पुष्कर कुंभ का आगाज हो गया है। देश के कोने-कोने से इसके लिए लोग मााणा पहुंच रहे हैं। महाकुंभ और अर्द्धकुंभ के बारे में तो आप जानते ही होंगे लेकिन पुष्कर कुंभ के बारे में भी जानते हैं। नहीं हो आज हम आपको बताएंगे कि पुष्कर कुंभ कब, कहां और क्यों होता है ?
12 साल के अंतराल में होता है पुष्कर कुंभ का आयोजन
हर 12 साल के अंतराल पर बृहस्पति के मिथुन राशि में प्रवेश करने पर माणा में अलकनंदा और सरस्वती नदी के संगम पर पुष्कर कुंभ (Pushkar Kumbh) का आयोजन किया जाता है। सबसे खास बात को ये है कि इसमें दक्षिण भारत से वैष्णव समुदाय के लोग भाग लेते हैं। बद्रीकाश्रम क्षेत्र में इसके आयोजन का मुख्य कारण यही है।
जानें क्यों खास है पुष्कर कुंभ ?
बताया जाता है कि महर्षि वेदव्यास ने केशव प्रयाग में तपस्या के दौरान प्रसिद्ध ग्रंथ महाभारत की रचना की थी। साथ ही दक्षिण भारत के प्रमुख आचार्यों रामानुजाचार्य और मध्वाचार्य ने सरस्वती नदी के तट पर ही मां सरस्वती से ज्ञान प्राप्त किया था। इसी लिए इसे बेहद ही खास माना जाता है। अपनी परंपरा को कायम रखने के लिए पुष्कर कुंभ के दौरान दक्षिण भारत से लोग बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं।