शंखनाद INDIA/भाष्कर द्विवेदी/पौड़ी ब्यूरो

जनपद पौड़ी में केंद्रीय विद्यालय का नया कैंपस तीन सालों से बिना उद्घाटन व विद्यालय का मुख्य सड़क मार्ग परिवहन विभाग की स्वीकृति के बिना बना अभिभावकों के लिए आर्थिक नुक्सान का कारण

पौड़ी केंद्रीय विद्यालय भवन को है 3 साल से उद्घाटन
का इंतज़ार
पीडब्लूडी, परिवहन विभाग और ज़िला प्रशासन की
लापरवाही के चलते अभिभावकों को उठाना पड़ रहा है आर्थिक नुक्सान
कोठार गांव के निवासियों की दान की गई 126 नाली
ज़मीन पर 27 करोड़ रुपये की लागत से बना है केन्द्रीय
विद्यालय पौड़ी का भवन.
विद्यालय की मुख्य सड़क को परिवहन विभाग ने पास
ही नहीं किया है रोज़ उससे सैकड़ों वाहन गुज़रते हैं

 

 

वीवीआईपी जनपद पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड राज्य को पांच पांच मुख्यमंत्री देने के बाद भी जिस बदहाली और ज़िम्मेदार सरकारी मशीनरी की लापरवाही से जनता के टैक्स के जमा करोड़ों रुपये के निर्माण को बर्बादी के कगार पर ले आती है इसका उदाहरण है केन्द्रीय केन्द्रीय विद्यालय पौड़ी का नवनिर्मित भवन,जो दलगत राजनीति पीडब्लूडी, परिवहन विभाग और ज़िला प्रशासन की लापरवाही के चलते 27 करोड़ रुपये लागत से आधुनिक सुविधाओं युक्त बना विद्यालय भवन आज शोपीस बनकर रह गया है, राजनीतिक महत्वाकांक्षा के कारण केंद्रीय विद्यालय परिसर का नया कैंपस तीन साल बीतने के बावजूद भी उद्घाटन का तरस रहा है, सबसे मजेदार बात तो ये है कि विद्यालय जाने वाली सड़क को परिवहन विभाग द्वारा स्वीकृत इसलिए नहीं दी जा रही है कि ये सड़क मानकों के अनुरूप नहीं है और इसके बावजूद भी इस सड़क मार्ग से जुड़े गांवों और ग्रामीणों को पौड़ी मुख्यालय आने जाने हेतु सैकड़ों वाहन रोज दौड़ते हैं

माना कि स्कूल तक जाने वाली सड़क ठीक नहीं है और इस पर दुर्घटना की आशंका बनी रहती है, लेकिन इसे ठीक करने की जिम्मेदारी आखिर किसकी है, परिवहन विभाग का कहना है कि पीडब्लूडी को मानकों के अनुरूप सड़क को ठीक करने को कहा है उसके बाद ही सड़क पर परिवहन की अनुमति मिल पाएगी,मज़ेदार बात यह है कि तक जिस सड़क को परिवहन विभाग ने पास ही नहीं किया है रोज़ उससे सैकड़ों वाहन गुज़रते हैं, लगता है कि इस वीवीआईपी जनपद में राजनेताओं की तरह अपना पिंड छुड़ाने को आतुर सभी संबंधित विभाग शायद यही उदाहरण भी दे रहे हैं,

 

 

बहरहाल विभागों के आपसी खींचतान के साथ तालमेल के अभाव और जनसुरक्षा के प्रति लापरवाही के चलते अभिभावकों को अपने बच्चों को विद्यालय परिसर में भेजने के लिए प्रति बच्चा ₹-1200 निजी वाहनों और टैक्सियों को देना पड़ रहा है जोकि बच्चों की स्कूल फीस से भी अधिक है और इसके लिए सभी अभिभावकों की सरकार और राजनेताओं के प्रति बड़ी नाराजगी है जो आगामी विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के लिए बड़ा खतरा बन सकता है

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