आठ फरवरी-2012 को हरिद्वार के थाना मंगलौर क्षेत्र में ओनिडा फैक्ट्री में भीषण अग्निकांड हुआ था। इसमें 12 लोगों की मौत हुई थी। सभी मरने वाले कर्मचारी और अधिकारी थे। नौ फरवरी-2012 को महक सिंह नाम के एक व्यक्ति ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इस अग्निकांड में महक सिंह के भाई की भी मौत हुई थी। मुकदमे में मुख्य आरोपी फैक्ट्री के महाप्रबंधक सुधीर महिंद्रा को बनाया गया था। अब गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय को गुमनाम पत्र भेजने वाले ने अग्निकांड के विवेचना अधिकारी रहे तत्काल मंगलौर प्रभारी निरीक्षक महेंद्र सिंह नेगी और उच्चाधिकारियों पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं।
fire in onida factory
लिखा है कि अग्निकांड में तीसरे दिन (10 फरवरी) जब आग बुझी तब जले हुए शवों (अवशेषों) को निकाला गया था। जबकि, एक दिन पहले ही लिखाई गई तहरीर में सभी मृतकों के नाम लिख दिए गए थे। पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों ने भी लिखा था कि शव पूरी तरह से जल चुके थे। यहां तक की उनकी ज्यादातर हड्डियां तक राख हो चुकी थी, लिहाजा कुछ मांस के टुकड़ों और हड्डियों से ही रिपोर्ट तैयार हुई थी। लेकिन, पुलिस ने अपने दस्तावेजों में लिखा है कि मृतकों की पहचान शवों की जेब से मिले पहचान पत्र और टी-शर्ट आदि से हुई है। ऐसे में यह कैसे संभव है कि पूरा शरीर पूरा जल जाए और टी-शर्ट व पहचानपत्र आदि दस्तावेज सुरक्षित रहें?
fire in onida factory
पुलिस की इस कहानी से पत्र भेजने वाले के इन आरोपों को भी बल मिलता है कि जब पुलिस तीसरे दिन शव मिलने के बाद होना दर्शाती है तो एफआईआर में उनके नाम अग्निकांड के अगले दिन एफआईआर में कैसे दर्ज कर लिए गए। इसी तरह के दर्जनों सवाल पत्र भेजने वाले ने उठाए हैं। इनकी तस्दीक के लिए उसने पुलिस की जीडी और सीडी की प्रतियां भी मुख्यालय और गृह विभाग को उपलब्ध कराई है। इस संबंध में पुलिस मुख्यालय ने डीआईजी गढ़वाल को जांच करने के निर्देश दे दिए हैं।
fire in onida factory
इस संबंध में एक पत्र आया था। इसकी जांच को डीआईजी गढ़वाल को लिखा गया है। साथ ही पूर्व में बनाई गई एसआईटी को भी तथ्यों की जांच करने के लिए कहा गया है। यदि कोई भी गलती विवेचना में पाई जाती है तो इस पर कार्रवाई होगी।
अशोक कुमार, अपर पुलिस महानिदेशक