शंखनाद INDIA/अल्मोड़ा: मां नंदा देवी मंदिर उत्तराखंड के लोगों की अथाह आस्था का केंद्र है। यहां प्रतिवर्ष वासंतिक व शारदीय नवरात्र में लोगों की अच्छी खासी भीड़ जुटती है। बताया जाता है कि यहां मां नंदा शक्ति स्वरूपा रूप में विराजमान है। वह अपने भक्तों को सभी मनोवांछित फल प्रदान करती है। मां नंदा के धार्मिक व आध्यात्मिक महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राज्य के कई हिम शिखरों व नदियों का नाम नंदा के नाम पर ही रखा गया है।

इनमें से प्रमुख रूप से नंदाकोट, नंदा खाट, नंदाघुमटी, नंदाकिनी, नंद प्रयाग व नंदकेशरी आदि शिखर व नदियां शामिल हैं। मां नंदादेवी मंदिर में भाद्रपद मास में पंचमी तिथि से लेकर अगले आठ दिनों तक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। यहां वर्ष भर देश के विभिन्न राज्यों के श्रद्धालु मां के दर्शन पूजन को पहुंचते हैं। यहां प्रतिदिन सायंकाल मां नंदादेवी की विशेष आरती की जाती है।

नंदादेवी मंदिर का विशेष आध्यात्मिक व धार्मिक महत्व है। यहां नवरात्र के मौके पर बड़ी संख्या में लोग पूजा अर्चना को पहुंचते हैं। ब्रह्म मुहूर्त से ही लोगों का पहुंचना आरंभ हो जाता है। जो देर सायं तक जारी रहता है। नवरात्र में श्रद्धालुओं को पूजा-अर्चना में किसी प्रकार की असुविधा न हो इसका पूरा ध्यान रखा जाता है।

 

जानिए मंदिर का रोचक इतिहास

कुमाऊं के राजा बाज बहादुर चंद 1638-78 के मध्य नंदा की प्रतिमा को गढ़वाल से अल्मोड़ा लाए। इस विग्रह को विशेष पूजा अर्चना के बाद कलक्ट्रेट स्थित रामशिला मंदिर में स्थापित किया गया। बाद में वर्ष 1816 में तत्कालीन कुमाऊं कमिश्नर जीडब्ल्यू ट्रेल ने नंदा की इस प्रतिमा को दीपचंद्रेश्वर मंदिर के अग्र भाग में स्थापित कर दिया।

 

Share and Enjoy !

Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× हमारे साथ Whatsapp पर जुड़ें