शंखनाद INDIA/चौखुटिया/ गणेश जोशी/
नशा नहीं रोजगार दो काम का अधिकार दो कि 37 वीं वर्षगांठ के दूसरे दिन बुधवार को विभिन्न आंदोलनकारी ताकतों से जुड़े जनप्रतिनिधियों ने चादीखेत से मुख्य बाजार होते हुए क्रांतिवीर चौराहे तक जनगीतों व नारों के साथ जुलूस निकाला। तथा क्रांतिवीर चौराहे पर प्रदर्शन के साथ सभा कर 20 वर्षों से सत्ता में आसीन दलों को कोसा। सभा में स्थाई राजधानी गैरसैंण बनाने ,नशे के खिलाफ जन अभियान चलाने ,जंगली जानवरों से निजात दिलाने, युवाओं के लिए स्थाई रोजगार देने की बात वक्ताओं ने कही।
बसभीड़ा में नशा नही रोजगार दो आंदोलन की सैंतीसवीं वर्षगांठ के मौके पर जनगीतों के साथ रैली निकाली गई। इस मौके पर आयोजित सभा में वक्ताओं न नशा मुक्त और माफियामुक्त उत्तराखंड राज्य निर्माण की दिशा में जुटने का संकल्प लिया। वक्ताओं ने आंदोलन की पृष्ठभूमि की चर्चा करते हुए उत्तराखंड की तस्वीर बदलने के लिए सभी संघर्षशील ताकतों को एक मंच पर आने की अपील की।
कार्यक्रम के मुख्य संयोजक व उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी की अगुवाई में हुए कार्यक्रम में बोलते हुए तिवारी ने उत्तराखंड की दशा और दिशा पर प्रकाश डाला। उन्होंने बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं, लचर शिक्षा प्रणाली सहित आम जनता से जुड़े तमाम बिंदुओं पर प्रकाश डाला।
इस मौके पर प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी, पलायन, चुनाव में नशे का बढ़ता प्रभाव, रोजगार के सनसाधनों का अभाव आदि पर चर्चा हुई। कहा गया कि सरकार जंगली सूअर व बंदरों से कृषकों को निजात दिलाए। बैइक में खेती किसानी से जुड़ी समस्याओं पर भी मंथन हुआ।
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार संघर्षशील ताकतों ने चांदीखेत पर एकत्रित होकर बाजार में जन गीतों व नारों के साथ मुख्य बाजार, गनाई होते हुए क्रांतिवीर चौराहे तक जुलूस निकाला। प्रर्दशन के साथ क्रांतिवीर चौराहे पर हुई सभा को संबोधित करते हुए कार्यक्रम के मुख्य संयोजक उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी ने कहा कि पिछले 20 वर्षों से प्रदेश में राज करने वाली सरकारों ने राज्य की अवधारणा के साथ खिलवाड़ कर इसे खोकला व बदरंग कर दिया है। आज भी स्थाई राजधानी का मुद्दा अधर में लटका है। कहा पहाड़ पर नशे की बढ़ती लत भू माफियाओं के कब्जे से पहाड़ का जनमानस त्रस्त है। साथ ही सरकार के पास युवाओं के लिए रोजगार की कोई नीति नहीं है। तिवारी ने कहा कि पहाड़ों में खेती, किसानी सरकारी नीतियों के चलते चौपट हो गई है। जंगली जानवरों ने कृषि आधारित हमारी आर्थिकी को चौपट कर पलायन के लिए ग्रामीणों को मजबूर कर दिया है। उन्होंने कहा, राज्य के हित में सभी संघर्षशील ताकतों को एकजुट होकर तीसरे विकल्प के रूप में आगे आना होगा।
अन्य वक्ताओं ने कहा कि राज्य के प्राकृतिक संसाधनों जल, जंगल ,जमीन पर लूट कसोट की राजनीति के चलते पूजी पतियों व माफियाओं का एकाधिकार राज्य में हो गया है। साथ ही बेरोजगारों के अधिकारों की लड़ाई को नशे की राजनीति से भटकाया जा रहा है। लिहाजा उत्तराखंड राज्य मैं युवाओं का भविष्य खतरे में है। वक्ताओं ने आवारा जानवरों से लगातार हो रही खेती के नुकसान को लेकर भी चिंता जताते हुए कहा सरकार के पास कोई ठोस उपाय इसके लिए नहीं है।