हाईकोर्ट के आदेश पर अगर मसूरी नगर पालिका के टेंडर घोटालों की जांच होती है तो अनुज गुप्ता व पूर्व अधिशासी अधिकारी यूडी तिवारी को जेल की हवा खानी पड़ सकती है।

देहरादून। मसूरी नगर पालिका में करोड़ों के टेंडर में कमीशनखोरी व अपने चहेते ठेकेदारों को टेंडर नियमावली को दरकिनार कर ठेका देने के मामले में हाईकोर्ट ने सख्त रूख अपना लिया है। एक याचिका पर सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट ने नगर पालिका से कंपनी गार्डन टेंडर मामले के सभी दस्तावेज कोर्ट में तलब किए हैं। याचिका में आरोप है कि नगर पालिका के चेयरमैन अनुज गुप्ता व अधिशासी अधिकारी यूडी तिवारी ने मोठी रकम लेकर टेंडर को अपने चहेते एक ठेकेदार को देने का षडयंत्र किया जा रहा है।

हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि पिछले 15 सालों से पालिका से सांठगांठ कर कंपनी गार्डन पर कौड़ियों के भाव से कब्जा जमाकर बैठे ठेकेदार संस्था के साथ मिलीभगत कर पालिका चेयरमैन गुप्ता व तिवारी दूसरी कंपनियों को ठेके में हिस्सा नहीं लेने दे रहे हैं। दूसरी कंपनियों को ठेके में षामिल होने के लिए गुप्ता व तिवारी ने एक ऐसा रास्ता निकाला है वह भी कम हैरान करने वाला नहीं है। टेंडर की शर्त में जोड़ा गया है कि वही ठेकेदार/फर्म ई-टेंडर में शामिल हो सकती है जिसे संपत्ति निरीक्षण व नो डयूज सर्टिफिकेट होगा। इस शर्त की आड़ लेकर पालिका चेयरमैन अनुज गुप्ता खेल कर रहा है। निरीक्षण व नो डूयज के लिए आवेदन करने वाले ठेकेदार/फर्म को गुप्ता प्रमाण पत्र दे ही नहीं रहा है।

अब सवाल यह है कि जब किसी को जरूरी प्रमाण पत्र ही नहीं मिलेगा तो कोई ठेकेदार/फर्म टेंडर में षामिल ही कैसे हो पाएगी। यहीं नहीं अपने चहेते ठेकेदार संस्था को लाभ पहुंचाने के लिए गुप्ता व तिवारी ने वर्तमान में कंपनी गार्डन को संचालित कर रही संस्था के आधा दर्जन से अधिक पदाधिकारियों व सदस्यों के नाम नियमों के विपरीत थोक के भाव अनुभव प्रमाण पत्र जारी कर दिए।

मामला हाईकोर्ट में जाते ही चुपचाप ऐसे फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र निरस्त कर दिए गए। टेंडर घोटाले को लेकर हाईकोर्ट की शरण में जाने वाली फर्म से जुड़े शेखर पाण्डेय ने बताया कि गुप्ता और तिवारी मसूरी नगर पालिका में बड़े स्तर पर टेंडर घोटालों को अंजाम दे रहे हैं।
मामला केवल कंपनी गार्डन का ही नहीं है, बल्कि पिछले छह माह में दो दर्जन से अधिक ऐसे ई-टेंडर जारी हुए हैं जिनमें करोड़ों की घूसखोरी कर अपने चहेते ठेकेदारों को ठेके अलॉट किए गए हैं। टेंडर नियमावली के खिलाफ टेंडर की शर्ते कुछ इस तरह डिजायन की गई हैं जिससे अपने चहेतों को ही ठेके अलाट किए जा सकें। कहने के लिए ई-टेंडर किए जा रहे हैं लेकिन मसूरी में पंजीकरण, नो डयूज व संपत्ति निरीक्षण प्रमाण पत्र की शर्त लगाकर ई-निविदा नियमावली का मजाक उडाया जा रहा है।

आलम यह है कि पालिका की वेबसाइट पिछले दो महीनों से एक शडयंत्र के तहत बंद पड़ी है। इस तरह पूरी नंगई के साथ पालिका अध्यक्ष व अधिशासी अधिकारी तिवारी ने मसूरी नगर पालिका में करोड़ो के ठेकों में बड़े स्तर पर घूसखोरी के खेल को अंजाम दिया जा रहा है।
हाईकोर्ट की षरण में जाने वाली फर्म का मामला भी कम दिलचस्प नहीं है। फर्म से जुड़े शेखर पाण्डेय के अनुसार जुलाई माह में कंपनी गार्डन का ई टेंडर होना था। लेकिन उनकी फर्म को टेंडर में षामिल होने से रोकने के लिए तय समय से पहले ही शडयंत्र के तहत बिडिंग क्लोज कर दी गई। इसके खिलाफ फर्म हाईकोर्ट की शरण में पहुंची और कोर्ट के आदेश पर टेंडर में षामिल हो पाई। लेकिन गुप्ता व तिवारी की साजिशे इसके बाद भी कम नहीं हुई। इसके बाद बिडिंग में शामिल सभी सात बिडर को डिसक्वालिफाई कर दिया गया। किसी को भी नहीं बताया गया कि उसे क्यों डिसक्वालिफाई किया गया। इसके साथ ही हाईकोर्ट के आदेष पर बिडिंग में शमिल होने वाली फर्म मैसर्स फल्कन को बाहर का रास्ता दिखाने के लिए वहीं टेंडर षर्तो में बदलाव कर पुनः जारी कर दिया गया। नये बिड डाक्यूमेंट में सभी षर्ते उलट-पलट कर दी गई। इसके खिलाफ फिर हाईकोर्ट में यह विवाद चल रहा है। इस विवाद पर ही सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली बेंच ने सख्त रूख अख्तियार करते हुए सभी रिकार्ड अगली सुनवाई में 13 सितम्बर को तलब किए हैं। साथ अगले आदेश तक कंपनी गार्डन की बिड न खोलने के आदेश जारी किए हैं।

शेखर पाण्डेय का कहना है कि वे हाईकोर्ट के आदेश पर अगर मसूरी नगर पालिका के टेंडर घोटालों की जांच होती है तो अनुज गुप्ता व पूर्व अधिशासी अधिकारी यूडी तिवारी को जेल की हवा खानी पड़ सकती है।