शंखनाद. INDIA दिल्ली।

हिमाचल में मनरेगा के तहत हजारों लोगों से काम करवा लिया गया, मगर दिहाड़ी देने की बारी आई तो सरकार ने हाथ खडे़ कर दिए हैं। मोदी सरकार ने मनरेगा के तहत करीब 200 करोड़ का बजट रोक दिया है। अकेले 100 करोड़ तो लेबर कंपोनेंट के ही रोके गए हैं। मैटीरियल का बजट भी अभी नहीं आया है। कई जगह तो तीन महीने से भुगतान नहीं हो पाया है। इससे मनरेगा से गुजारा करने वाले गरीब लोग परेशान हैं। देरी से भुगतान करने की स्थिति में हिमाचल सरकार को मनरेगा कामगारों को ब्याज भी देना पड़ेगा। मनरेगा को मांग आधारित योजना के रूप में प्रचारित किया जा रहा हो और मनरेगा एक्ट 2005 के अनुसार 15 दिन के भीतर दिहाड़ी का भुगतान करना होता है, वरना कामगारों को ब्याज भी देना होता है। इस एक्ट के तहत काम मांगना लोगों के लिए परेशानी बन गया है। प्रदेश के लगभग सभी जिलों में लोगों ने मनरेगा के तहत काम किया। कहीं भूमि सुधार किया तो कहीं पक्के रास्ते बनाए। कहीं पानी के टैंक बनाए तो कहीं पर घरों के सामने या खेतों में दीवारें दीं।

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