शंखनाद INDIA। दिल्ली : गांवों में रोजगार के लिए लाइफ लाइन कहीं जाने वाली महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना(MGNREGA) में कार्यरत श्रमिको की दिवाली इस बार फीकी रह सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक देश की मनरेगा योजना के खजाने में अब रुपये नहीं बचे हैं जिससे 21 राज्यों में काम कर रहे मजदूरों के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र की यह योजना वित्तीय वर्ष के आधे रास्ते में ही समाप्त हो गई है, जिससे कि अब मजदूरों को कम से कम एक महीने तक संकट का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि अनुपूरक बजटीय आवंटन अगले संसदीय सत्र मे किया जाएगा। इस बीच आर्थिक संकट के समय मजदूरी भुगतान में देरी करके श्रमिकों द्वारा जबरन श्रम कराए जाने की कोशिशों की हर तरफ निंदा हो रही है। केंद्र अब कई राज्यों पर जमीन पर काम के लिए जबरदस्ती मांग पैदा करने का आरोप लगा रहा है। योजना का 2021-22 का बजट सिर्फ 73,000 करोड़ रुपये पर निर्धारित किया गया था, केंद्र ने तर्क दिया कि देशव्यापी लॉकडाउन समाप्त हो गया था और अगर पैसा खत्म हो गया तो अनुपूरक बजटीय आवंटन उपलब्ध होगा। 29 अक्टूबर तक, देय भुगतान सहित कुल व्यय पहले ही 79,810 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था, जिससे योजना संकट में आ गई।