Migration From Villages in Uttarakhand : पलायन की समस्या एक चुनौती
उत्तराखंड को बने 21 साल हो गए पर पलायन की समस्या आज भी हमारे समाने एक चुनौती बनकर खड़ी है. सरकार चुनाव में पलायन (Migration) को रोकने के दावे तो करती है पर चुनाव के बाद अपने वादे को भूल जाती है. इसे विडंबना कहे या उत्तराखंड वालो का दुर्भाग्य कि पौड़ी में पलायन आयोग का आंफिस तो है पर वहां पर अधिकारी बैठतें नहीं हैं.
Migration From Villages in Uttarakhand : सबसे ज्यादा पलायन पौड़ी में
2011 की जनगणना के अनुसार सबसे ज्यादा पलायन पौड़ी में हुआ है.आपको बता दें चुनाव के दौरान पलायन उत्तराखँड की राजनीति में एक बड़ा मुद्दा है.सरकारें आयी और और गई पर पलायन की समस्या एक समस्या बनकर रह गई. गांवो में पलायन का कारण रोजगार,शिक्षा, और स्वास्थय है जिसमें उत्तराखँड के गांवों का बूरा हाल है.
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Migration From Villages in Uttarakhand
Migration From Villages in Uttarakhand : उत्तराखंड के कई गांवों में सड़क नहीं
उत्तराखंड के कई गांव आज भी ऐसे हैं जहां आज भी सड़क नहीं है. जिसके कारण लोग अपने गांव को छोड़कर शहरों की ओर आ रहे हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार कोरोना महामारी में सब लोटकर अपने गांव तो आए पर रोजगार ना होने के कारण कुछ समय बाद ही लोट गए
Migration From Villages in Uttarakhand : 32 लाख लोग छोड़ चुके हैं अपना घर
पलायन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार राज्य बनने के बाद करीब 60 प्रतिशत आबादी यानी 32 लाख लोग अपना घर छोड़ चुके हैं. पलायन आयोग की रिपोर्ट कहती है कि 2018 में उत्तराखँड के 1700 गांव
भुतहा हो चुके हैं .जबकि एक हजार गांव ऐसे हैं जहां 100 से कम लोग बचे हैं कुछ मिलाकर 3400 गांवो में पलायन हुआ है.
Migration From Villages In Uttarakhand :पलायन नही रोक पाया औघोगिक विकास का मांडल
एक रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश का औघोगिक विकास मैदान तक सीमित रहा अवस्थापना विकास आपदा जैसे चुनौती के आगे पहाड़ो में उद्योग ही स्थापित थे. पहला राज्य का यह भू भाग शून्य उद्योग के लिए जाना जाता है. हांलाकि औघोगिक विकास में उत्तराखंड ने खूब तरक्की की है. जहां पर जीडीपी का उद्योग क्षेत्र 49 प्रतिशत से अधिक हो गया है. इसमें विनिर्माण क्षेत्र का योगदान 36 प्रतिशत से अधिक है. वहीं औघोगिक विकास मांडल पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन रोकने में सफल नहीं हो पाया.
Migration From Villages In Uttarakhand : राज्य गठन के बाद 49809 एमएसएमई उद्योग स्थापित
राज्य गठन के बाद राज्य में 49809 एमएसएमई उद्योग स्थापित हुए .जिसके लिए 12778 करोड़ का निवेश हुआ और लगभग 2.82 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला.आपको बता दें राज्य गठन से पहले 14163 लघु उद्योग स्थापित थे. जिसमें 700 करोड़ से ज्यादा का निवेश हुआ था. वर्तमान में देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर जिले में 327 से अधिक बड़े उद्योग स्थापित है.
Migration From Villages Of Uttarakhand : पलायन का कारण सरकार की नीतियां
सरकार को विगत 10 सालों से ये तो पता है कि पलायन का कारण क्या हैं पर सरकार सिर्फ मूक दर्शक बनकर देख रही है सरकार ने ऐसे कोई कदम नहीं उठाए जिससे पलायन को रोका जा सके. जो सरकार की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े करते है.