शंखनाद INDIA/ देहरादून

देश में इन दिनों कोरोना से हालात लगातार बेहद खराब होते सजा रहे हैं| लगातार बढ़े रहे मामलों को देखते हुए देश के कई राज्यों में लॉकडाउन की स्थिति पैदा हो रही है| राज्य सरकारें लगातार कोरोना से निपटने के लिए कई प्रयास तो कर रही है लेकिन कोरोना के आगे किसी भी प्रयास का कोई फायदा नजर नहीं आ रहा है| ऐसे में अब कई राज्यों के सामने लॉकडाउन के अलावा कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा है| वहीं लॉकडाउन जैसे हालात बनने के वजह से अब उत्तराखंड राज्य की सरकार के सामने बेहद बड़ी चुनौती है| दरअसल उत्तराखंड राज्य के कई लोग रोजगार के चलते दूसरे राज्यों में  रह रहे हैं| अब कई राज्यों में लॉकडाउन लगाया जा रहा है तो अब प्रवासी वापस उत्तराखंड अपने घरों की तरफ रूख कर रहे हैं| प्रवासियों की वापसी को लेकर उत्तराखंड सरकार के सामने अब बेहद बड़ी जिम्मेदारी बन रही है|

इन दिनों  उत्तराखंड भी कोरोना की मार को झेल रहा है|राज्य में कोरोना वायरस के मामले लगातार बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं| महाकुंभ के बाद राज्य में कोरोना के मामलों में बहुत तेजी से बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है| कारण यह भी रहा कि  महाकुंभ को  लेकर दूसरे राज्यों से कई  लोगों ने उत्तराखंड में प्रवेश किया और इसी वजह से कोरोना संक्रमण बहुत तेजी से फैला| अब एक बार फिर दूसरे राज्यों में लॉकडाउन के चलते  प्रवासियों का उत्तराखंड लौटना शुरू हो चुका है| तो ऐसे में अब राज्य सरकार के सामने यह बेहद बड़ी चुनौती बन रही है कि आखिर दूसरे राज्यों से आने वाले प्रवासियों के लिए किस तरह सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम किए जाए जिससे राज्य में कोरोना संक्रमण का खतरा न फैले|

सरकार की जिम्मेदारी हेगी कि बाहर से आने वाले लोगों के लिए टेस्टिंग और क्वारंटीन सेंटर की व्यवस्था पूरे तरीके से पूर्ण की जा सके जिससे राज्य में कोना का खतरा ना बढ़े| पिछली बार जब साल 2019 में कोरोना महामारी के चलते प्रवासियों ने उत्तराखंड में प्रवेश किया था तो उस वक्त राज्य की कमान पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के हाथों में थी और उन्होंने इस चुनौती का सामना किया था| इस बार राज्य के नए सीएम तीरथ सिंह रावत के हाथों में राज्य की कमान है तो ऐसे में उन्हें इस चुनौती से निपटना होगा| इस चुनौती से निपटना तीरथ सरकार के लिए आसान नहीं होगा क्योंकि इससे पहले भी सरकार की लापरवाही के चलते महाकुंभ में कोरोना का आंकड़ा बहुत तेजी से बढ़ा है| अब तीरथ सरकार के ऊपर यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी होगी कि कैसै प्रवासियों को उत्तराखंड में सुरक्षित तरीके से प्रवेश दिया जाए और राज्य को कोरोना संक्रमण से बचाया जाए|

साल 2019 की बात करें तो लॉकडाउन के दौरान तब  राज्य में 3.27 लाख प्रवासियों ने उत्तराखंड का रूख किया था| इस बार यह आंकड़ा करीब 1 लाख तक बताया जा रहा है| यानि इस बार लगभग 1 लाख प्रवासियों के उत्तराखंड पहुंचने की उम्मीद है ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि आखिर सरकार किस तरह से प्रवासियों के लिए सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम कर पाती है| प्रवासियों की वापसी को लेकर सरकार को अस्थायी क्वारंटीन सेंटरों से लेकर गांवों में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए पर्याप्त संसाधन जुटाने होंगे जिससे राज्य में कोरोना संक्रमण का खतरा ना फैले।