शंखनाद INDIA/उत्तराखंड,पिथौरागढ़,संवाददाता(मानवी कुकशाल): घर की जान होती हैं बेटियाँ,पिता का गुमान होती हैं बेटियाँ। ईश्वर का आशीर्वाद होती हैं बेटियाँ,यूँ समझ लो कि बेमिसाल होती हैं बेटियाँ। कुछ इसी तरह की खबर आज सामने आ रही है जिसमें उत्तराखंड के पहाड़ पिथौरागढ़ के एक छोटे से गांव बड़ालू में रहने वाली निकिता चंद ने एशियन चैंपियनशिप में कड़ी मेहनत के साथ अपने मुकाम को हासिल किया है।
महज़ आठ साल की उम्र में निकिता ने मुक्केबाजी को अपना लक्ष्य बना लिया था।जिसके बाद अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ निश्चय के साथ ही अपने लक्ष्य को पूरा कर एशियन बॉक्सिंग प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल हासिल कर अपनी जग़ह बनाई है। आपको बता दें कि निकिता के पिता सुरेश चंद गांव में खेती-बाड़ी और बकरी चराकर अपने घर का भरण-पोषण करतें है।
निकिता की इस छोटी-सी उम्र में यह मुकाम हासिल करना किसी कबिलियत तारीफ से कम नहीं है। पहाड़ का नाम सुनते ही लोग संसाधनों की कमी होने के कारण अपना जीवन व्यापन करने के बारे में भी दो बार सोचते है लेकिन पहाड़ का रहने वाला साधारण व्यक्ति उपल्बध संसाधनों में ही सुकून ढ़ूढ़ता है। आठ साल की उम्र में ही निकिता अपने फूफा अजय मल्ल और बुआ मीना मल्ल के साथ चली गईं थी। 20 दिसंबर 2006 को पिथौरागढ़ में जन्मी निकिता ने महज 10 साल की उम्र में बॉक्सिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था।
धीरे-धीरे समय के साथ ही साल 2018 में निकिता ने मिनी सब जूनियर बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीती उसके बाद साल 2019 में वो सब जूनियर स्टेट चैंपियनशिप जीतने में कामयाब रहीं। जुलाई 2021 में उन्होंने सोनीपत में हुई नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड जीता। अब राष्ट्रीय टीम में चयन होने के बाद निकिता दुबई गईं और एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में देश के लिए गोल्ड जीतने में कामयाब रहीं। एक छोटे से गांव से निकलकर निकिता की कड़ी मेहनत और त्याग आखिरकार रंग लाया।
निकिता की सफलता पर बड़ालू गांव के लोगों ने अपने घरों पर बेटी के नाम की नेमप्लेट लगाने का निर्णय लिया है। निकिता की सफलता गांव की दूसरी बेटियों को भी आगे बढ़ने का हौसला दे रही है, उन्हें सपने देखने और उन्हें सच करने के लिए प्रेरित कर रही है। उत्तराखंड राज्य अब पीछे नहीं रहा है यहां भी अब युवा अपनी कड़ी मेहनत के साथ ही आगे बढ़कर हर एक मुकाम को हासिल कर रहे है। इसी तरह के मुद्दे युवाओं को प्रेरित करते है।