विधानसभा सत्र के चौथे दिन सदन के पटल पर कई प्रस्ताव रखे गए। इस दौरान सीएम धामी ने सदन में उत्तराखंड भू कानून को लेकर उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था संशोधन विधेयक 2025 सदन के पटल पर रखा। जिस पर विपक्ष ने चर्चा की मांग की। चर्चा के पास भू-कानून को पारित कर दिया गया है।
विधानसभा में पारित हुआ भू-कानून संशोधन विधेयक
विधानसभा सत्र के चौथे दिन उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950) (संशोधन) विधेयक 2025 सदन में पास हो गया। उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950) संशोधन विधेयक 2025 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सदन में प्रस्तुत किया। इसके साथ ही उन्होंने इसमें होने वाले संशोधन पर भी बात की। इसके पारित हो जाने के बाद सीएम धामी ने प्रदेशवासियों को बधाई भी दी है।
एक्स पर पोस्ट कर उन्होंने लिखा है कि “आज उत्तराखण्ड विधानसभा में भू-कानून को अधिक सशक्त करते हुए ऐतिहासिक संशोधन विधेयक पास किया गया। देवभूमि की सांस्कृतिक विरासत, पर्यावरण संतुलन और आमजन के अधिकारों की रक्षा हेतु सख्त भू-कानून नितांत आवश्यक था। ये कानून प्रदेश के हितों को सर्वोपरि रखते हुए अनियंत्रित भूमि खरीद-बिक्री पर रोक लगाएगा और राज्य के मूल स्वरूप को सुरक्षित रखेगा। ये महत्वपूर्ण निर्णय उत्तराखण्ड की जनता की भावनाओं और आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। हमारी सरकार देवभूमि के सम्मान, संस्कृति और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।”
ये हैं भू-कानून के नियम
निकाय सीमा में तय भू उपयोग से हटकर जमीन के इस्तेमाल करने पर भी सख्त कार्रवाई होगी। प्रदेश में अब साढ़े 12 एकड़ से ज्यादा जमीन खरीद की मंजूरी नहीं दी जाएगी। भू-कानून में संशोधन के बाद अब उत्तराखंड में दूसरे राज्य के लोगों के लिए जमीन खरीदना मुश्किल हो जाएगा। इसके साथ ही अब जमीनों की खरीदारी के लिए जिलाधिकारी अनुमति नहीं दे पाएंगे। सभी जिलाधिकारियों को राजस्व परिषद और शासन को सभी जमीनों की खरीद की रिपोर्ट नियमित रूप से देनी होगी। पहाड़ों पर चकबंदी और बंदोबस्ती को तेजी से किया जाएगा पूरा।
राज्य में जमीन खरीदने के लिए एक पोर्टल बनाया जाएगा। इस पोर्टल में जमीन की खरीद फरोख्त का सारा ब्यौरा होगा। प्रदेश के बाहर के लोगों पर इसका दुरूपयोग करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। नियमों से इतर इस्तेमाल पर जमीन सरकार में निहित कर ली जाएगी। अब प्रदेश में जमनी की कीमतों में अप्राकृतिक बढ़ोतरी पर नियंत्रण रहेगा। इसके साथ ही उत्तराखंड के मूल निवासियों को जमनी खरीदने में भी सहूलियत मिलेगी। सरकार को भूमि खरीद-बिक्री पर ज्यादा नियंत्रण प्राप्त होगा। प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि का बेहतर प्रबंधन होगा।