शंखनाद INDIA/ हरिद्वार
उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में 11 मार्च को कुंभ मेले की शुरूवात होने जा रही है| कुंभ को लेकर देशभर के श्रद्धालुओँ में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है और यही वजह है कि कुंभ की शुरूवात होने से पहले ही श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचना शुरू हो चुके हैं| कुंभ मेले का महत्व हिंदू धर्म में बेहद अहम माना जाता है| इस दौरान करोड़ों श्रद्धालु कुंभ पर्व स्थल प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में स्नान करते हैं। इस बार के कुंभ में 4 शाही स्नान होंगे| 11 मार्च को महाशिवरात्री है और इसी दिन कुंभ हरिद्वार में कुंभ का पहला शाही स्नान होगा| कुंभ का दूसरा शाही स्नान 12 अप्रैल, तीसरा शाही स्नान 14 अप्रैल और फिर चौथा शाही स्नान 27 अप्रैल को होगा।
कुंभ के पहले शाही स्नान पर इस बार श्रद्धालु पवित्र ब्रह्मकुंड हरकी पैड़ी पर स्नान करें सकेंगे| शाम 5 बजे के संतों के हरकी पैड़ी से जाने के बाद श्रद्धालुओं को ब्रह्मकुंड में शाही स्नान करने का मौका मिलेगा| पहले जूना अखाड़ा शाही स्नान के दिन 11 बजे ब्रह्मकुंड पहुंचेगा। बाद में श्री निरंजनी 1 बजे और 4 बजे महानिर्वाणी अखाड़े के संत पहुंचेंगे। शाम पांच बजे तक महानिर्वाणि और अटल अखाड़े के संत हरकी पैड़ी से स्नान कर वापस लौटने शुरू हो जाएंगे। 5 बजे के बाद श्रद्धालुओं को हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड आने दिया जाएगा। जबकि इस दिन सुबह से शाम तक ब्रह्कुंड में सन्यासियों संतों का कब्ज ही रहेगा। सभी अखाड़ों को 30-30 मिनट का समय दिया गया है। जूना अखाड़े के साथ अग्नि और आह्वान अखाड़ा, निरंजनी के साथ आनंद और महानिवार्णी के साथ अटल अखाड़ा स्नान करेगा। शाही स्नान के दिन किसी भी श्रद्धालुओं को हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड में जाने की इजाजत नहीं होती है। लेकिन इस बार संतों का स्नान समाप्त होते ही आम श्रद्धालु के लिए ब्रह्कुंड खोल दिया जाएगा
वैसे तो हर बार कुंभ मेले का आयोजन 4 महीने के लिए होता था लेकिन इस बार कोरोना की वजह से श्रद्धालुओँ की सुरक्षा को देखते हुए हरिद्वार में आयोजित हो रहा कुंभ केवल 28 दिन का ही होगा| कुंभ मेले को लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने कई गाइडलाइंस जारी की हैं| सभी गाइडलाइंस का पालन श्रद्धालुओं को करना होगा।