रिखणीखाल-सरकार लाख दावे व घोषणा कर ले,लेकिन सरकारी अस्पतालों की हालत आज किसी ने छुपी नहीं है।ऐसा ही एक वाक्या सामने आया है कि रिखणीखाल प्रखंड के बिषम भौगोलिक परिस्थितियों में बसे गांव ” बराई धूरा” की है,जहाँगाँव के एक निर्धन व गरीब परिवार की श्रीमती पूजा रावत पत्नी अशोक रावत का प्रसव होना था जिसे बेस अस्पताल कोटद्वार में प्रसव कराने के लिए ले गये,लेकिन मानवता की सारी हदों को पार करते हुए वहाँ के चिकित्सकों ने सफल प्रसव कराने को साफ मना कर दिया।आनन फानन में प्रसव पीड़ा से कराहती महिला को प्राइवेट अस्पताल की तरफ रुख करना पड़ा,जहाँ उसकी सफल सर्जरी करायी गयी।ईश्वर की कृपा से दोनों जच्चा बच्चा कुशल व स्वस्थ हैं।लेकिन एक गरीब परिवार को 35,000 हजार रुपये का आर्थिक बोझ किसी तरह कर्ज लेकर चुकाना भारी पड़ा।
अब बताइये कहाँ गया पांच लाख का आयुष्मान कार्ड,कहाँ गई सरकार की अनेक लोकप्रिय घोषणाएँ,जो इस मुसीबत में भी काम नहीं आयी,जो लगातार दम तोड़ती जा रही हैं।विज्ञापन,बड़े बड़े पोस्टर,भाषणबाजी,अखबारों में रोज उपलब्धियाँ गिनाई जाती है लेकिन धरातल से सब गायब हैं।सरकार कहती है कि सन 2025 तक हम उत्तराखंड राज्य को देश का नम्बर एक राज्य बनायेगे।ऐसे में कैसे बनेगा?
बेस अस्पताल कोटद्वार पौडी़ गढ़वाल के रिखणीखाल,जयहरीखाल,नैनीडान्डा,द्वारीखाल,यमकेश्वर,दुगड्डा,कल्जीखाल,बीरोखाल,पोखडा आदि विकास खंडों का प्रमुख अस्पताल है।रिखणीखाल में भी विश्व विख्यात सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है लेकिन वहाँ पर भी स्वास्थ्य सेवाये चाक-चौबंद नहीं है जैसा कि कयी बार सुर्खियों में देखा गया है
स्थानीय जनता का कहना है कि अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाये दुरुस्त करे या अनाप-शनाप घोषणाएं न करें।इससे आम जनमानस भ्रमित हो रहा है।