हरिद्वार जमीन घोटाला

हरिद्वार नगर निगम जमीन घोटाला प्रकरण में मुख्यमंत्री धामी के निर्देश पर दो आईएएस, एक पीसीएस सहित कुल दस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। जबकि दो का सेवा विस्तार समाप्त कर दिया गया है। इस मामले को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं कि हरिद्वार नगर निगम घोटाला था क्या और कैसे इसका खुलासा हुई आइए विस्तार से जानते हैं।

ये था पूरा हरिद्वार जमीन घोटाला मामला

मामला साल 2024 में उस वक्त का है जब राज्य में कई स्थानों पर नगर निगम और नगर पालिका के चुनाव हो रहे थे और नगर निगम का पूरा का पूरा सिस्टम नगर आयुक्त के पास था उस वक्त हरिद्वार नगर निगम में तैनात नगर आयुक्त वरुण चौधरी जिम्मेदारी संभाल रहे थे. इस दौरान नगर निगम ने हरिद्वार के सराय स्थित 33 बीघा जमीन को खरीदा गया आखिरकार 33 बीघा जमीन को किस पर्पस से खरीदा गया ये अभी तक स्पष्ट नहीं है।

जमीन खरीदने तक तो मामला सब कुछ सही था लेकिन जिस जगह यह जमीन थी उस जगह पर या कहे उसके आसपास पहले से ही नगर निगम कूड़ा डंप करने का काम कर रहा था। ऐसे में जिस जमीन के रेट हजारों रुपए या लाखों रुपए थे उस जमीन को नगर निगम ने सरकारी बजट से 54 करोड़ रुपए में खरीद लिया। किसी को यह मालूम नहीं था कि आखिरकार कौड़ियों के दाम बिकने वाली जमीन को क्यों इतने पैसे देकर खरीदा गया।

मामले की चर्चा होने के बाद सरकार ने कराई जांच

हरिद्वार नगर निगम के चुनाव हुए और नगर निगम की कुर्सी पर बीजेपी उम्मीदवार बैठ गई। धीरे-धीरे यह मामला सार्वजनिक हुआ और बात इतनी तेजी से शहर में फैली के विपक्ष सहित स्थानीय लोगों ने भी इस पर खुलकर चर्चा करनी शुरू कर दी कि आखिरकार आम जनता के पैसों का इस तरह से दुरुपयोग क्यों किया जा रहा है मामला इतना बढ़ा के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तक यह अनियमितता और अधिकारियों की कारगुजारी पहुंच गई।

ऐसे हुई 15 से 54 करोड़ रुपए कीमत

भूमि का लैंड यूज कृषि था। तब उसका सर्किल रेट छह हजार रुपये के आस पास था। यदि भूमि को कृषि भूमि के तौर पर खरीदा जाता, तब उसकी कुल कीमत पंद्रह करोड़ के आस पास होती। लेकिन लैंड यूज चेंज कर खेले गए खेल के बाद भूमि की कीमत 54 करोड़ के आस पास हो गई। खास बात ये है कि अक्टूबर में एसडीएम अजयवीर सिंह ने लैंड यूज बदला और चंद दिनों में ही निगम निगम हरिद्वार ने एग्रीमेंट कर दिया और नवंबर में रजिस्ट्री कर दी।

नगर निगम हरिद्वार ने नवंबर 2024 में सराय कूड़ा निस्तारण केंद्र से सटी 33 बीघा भूमि का क्रय किया था। ये भूमि 54 करोड़ रुपए में खरीदी थी जबकि छह करोड़ रुपए स्टाप ड्यूटी के तौर पर सरकारी खजाने में जमा हुए थे। 2024 में तब नगर प्रशासक आईएएस वरुण चौधरी थे। जमीन खरीद मामले में मेयर किरण जैसल ने सवाल खड़े किए थे। जिसके बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले की जांच सीनियर आईएएस अफसर रणवीर सिंह को सौंपी थी। अब इस मामले में जमीन को बेचने वाले किसान के खातों को फ्रीज करने के आदेश कर दिए गए हैं।