उर्मेश उर्मिल
journlist rupesh kumar singh
एक और पत्रकार की गिरफ्तारी. जिन कुुछ भारतीय नागरिकों की पेगासस के जरिये जासूसी कराई जा रही थी, उनमें एक नाम रूपेश कुमार सिंह journlist rupesh kumar singh का भी आया था. उन्हें कल झारखंड के रामगढ स्थित उनके घर से गिरफ्तार कर लिया गया. इससे पहले भी वह गिरफ्तार हो चुके हैं. अपने जेल प्रवास पर उन्होंने एक जेल-डायरी भी लिखी थी जो पुस्तक के रूप में प्रकाशित है.
स्वतंत्र पत्रकार को क्यों और किस जुर्म में गिरफ्तार किया गया, इसके ब्योरे आने बाकी हैं. विभिन्न वेबसाइटों की खबरों से पता चलता है कि उन्हें कुछ ‘पुराने मामलों’ में गिरफ्तार किया गया है. लेकिन पुलिस ने परिवार को कुछ भी साफ-साफ नहीं बताया.
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है: क्या पूछताछ और कथित आरोपों पर किसी ठोस साक्ष्य की उपलब्धता के बगैर एक पत्रकार या किसी नागरिक की गिरफ्तारी सम्बद्ध कानूनी प्रावधानों और ऐसे कई मामलों में माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये आब्जरवेशन और निर्देशों के विरूद्ध नहीं है? रूपेश के मामले में अब तक इस सवाल का जवाब नहीं मिला है.
यह गिरफ्तारी अत्यंत निंदनीय है. पत्रकार को अविलंब रिहा कर सम्बद्ध मामले में(अगर कोई है तो) शासकीय एजेंसी उनसे पूछताछ कर सकती है. सिर्फ संदेह या आभास के आधार पर या किसी के विचारों के नाम पर किसी विस्तृत पड़ताल व पूछताछ के बगैर एक नागरिक की गिरफ्तारी को किसी भी तरह जायज नहीं ठहराया जा सकता.
झारखंड पुलिस ने कई गंभीर मुद्दों पर लिखने वाले स्वतंत्र पत्रकार रूपेश कुमार सिंह कोjournlist rupesh kumar singh गिरफ्तार कर लिया है. उनकी गिरफ्तारी सरायकेला खरसांवा ज़िले के कांड्रा थाने में नवंबर 2021 में दर्ज एक पुराने मामले में की गई है.
इसमें पुलिस ने यूएपीए की धाराएं भी लगाई हैं. गिरफ्तारी के वक्त पुलिस द्वारा तैयार कागज़ात (जो बीबीसी के पास मौजूद हैं) से इसकी जानकारी मिली है.
उन कागजात के मुताबिक रूपेश की गिरफ्तारी उसी केस में की गई है, जिसके तहत पिछले साल 13 नवंबर को एक करोड़ रुपये के इनामी नक्सली प्रशांत बोस और उनकी पत्नी शीला मरांडी को उनके कुछ कथित सहयोगियों के साथ गिरफ्तार किया गया था. ये सब लोग अभी जेल में हैं.
झारखंड पुलिस ने इस संबंध में अभी तक अधिकृत तौर पर कुछ भी नहीं कहा है. उन्हें गिरफ्तार करने के बाद कहां रखा गया है, इसकी भी पुख्ता जानकारी नहीं है.