शंखनाद INDIA/                                                                                                                                                                                        पेट्रोलियम उत्पादों की लगातार बढ़ती किमतों पर सरकार का रवैया नरम पड़ता दिख रहा है। और इसमें कटौती के आसार बनने लगे है वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने माना है कि पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें ग्राहकों पर भारी बोझ हैं। इस बारे में केंद्र व राज्य सरकारों को मिल कर फैसला करना होगा।

पेट्रोलियम उत्पादक और निर्यातक देशों के सगंठन ओपेक ने कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने से इन्कार किया। इससे कच्चे तेल के दाम मे गिरावट की उम्मीद खत्म हो गई है। ऐसे में अगर केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर टैक्स कटौती का फैसला नहीं करती हैं। तो पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की  कीमतों में वृद्धि का एक और सिलसिला शुरू हो सकता है। कई एजेंसियों ने कहा है कि देश में अगर पेट्रोल व डीजल की कीमतों को कम नहीं किया गया तो इसका असर इकोनाॅमी के दूसरे क्षेत्रों पर होने लगेगा।

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