शंखनाद INDIA/ अलमोड़ा-: कृषि विज्ञान केंद्र, मटेला में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया | कार्यशाला में नेशनल मिशन ऑन हिमालयन स्टडीज द्वारा ग्रीन हिल्स ट्रस्ट को वित्त पोषित परियोजना “उत्तराखंड में जंगली पौधे बिच्छू बूटी (आर्टिक डायोका) की आजीविका संवर्धन की क्षमता की तलाश” के बारे में इस परियोजना की मुख्य वैज्ञानिक एवं को-ऑर्डिनेटर ग्रीन हिल्स की डा. वसुधा पंत द्वारा मनुष्य के लिए उपयोगी बिच्छू घास की औषधीय एवं पोशक गुणों के बारे में जानकारी दी गई। उनके द्वारा कहा गया की हमें इसे उजड़ने की जरूरत नहीं है बल्कि बेकार पड़ी भूमि पर इसे लगाया जाना चाहिए।
कुछ रिसर्च के बाद इससे अलग अलग खाद्य पदार्थ बनाए जाएंगे, अलग अलग गाँव के लोगों को उसकी ट्रेनिंग दी जाएगी जिसके द्वारा कुछ हद तक रोजगार सृजन में उपयोग किया जाएगा। ग्रीन हिल्स इस परियोजना को पंतनगर विश्व विद्यालय के साथ मिलकर कर रहा है। पंतनगर कृषि विश्व विद्यालय से आई सस्य विज्ञान विभाग की प्रोफेसर डा, सुनीता टी पांडे द्वारा “वृक्षायुर्वेद में उल्लेखित विधि के आधार पर बिच्छू घास द्वारा निर्मित तरल किंडवित जैविक उर्वरक (कुणापजल) द्वारा फसलों का पोषण, फसल सुरक्षा एवं पर्यावरण संरक्षण” विषय) पर विस्तृत जान कारी दी गई तथा उक्त विधि से कुणापजल बनाने का भी कृषकों को प्रदर्शन दिखाया गया जिसमें ताकुल, लमगड़ा, हवलबाग के 50 किसानों ने भाग लिया| ईस कार्यक्रम में मुख्य कृषि अधिकारी, डा. ओमवती, एवं अन्य कृषि एवं उद्यान अधिकारियों द्वारा भी प्रतिभाग किया गया| कार्यक्रम का संचालन कृषि विज्ञान केंद्र की डा. उमा नौलिया द्वारा किया गया|