शंखनाद INDIA/ गैरसैंण
दीप जलाने की परंपरा भारत में किसी काम को शुरू करने पर दीप प्रज्वलित कर शुरू करने की है। अधिकांश लोग हमेशा लोग अपने घरों और कार्यालयों में भी दीप जलाते हैं। दीवाली में पूरे भारत में दीप जलाए जाते हैं। दीप जलाने का मतलब उजाले से है, अंधेरे में प्रकाश ।
दरअसल, गुरूवार को गैरसैंण ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित होने की पहली वर्षगांठ पर भराड़ीसैंण में जश्न का माहैल रहा| इस दौरान विधानसभा भवन में 1101 दीप प्रज्ज्वलित किए गए| हालांकि इस मौके पर प्रदेश की डबल इंजन की सरकार को भारतीय संस्कृति की कितनी परख और समझ है इसकी पोल जरूर खुलती नजर आई|
दरअसल, उत्तराखंड सरकार द्वारा ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषणा के एक वर्ष पूरा होने पर विधानसभा भवन में 1101 दीप प्रज्ज्वलित किए गए| इस दौरान त्रिवेंद्र सरकार के मंत्री जूते पहनकर दीप प्रज्जवलित करते नजर आए| इस मौके पर विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, उच्च शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत और शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक मौजूद रहे|
दरअसल, हिन्दू परंपरा के मुताबिक कोई भी धार्मिक अनुष्ठान करने पर जूते पहनना हिंदू संस्कृति के खिलाफ है| और जिस तरह से सरकार के मंत्रियों ने जूते पहनकर दीप प्रज्जवलित किए हैं वो भारतीय संस्कृति के साथ हिंदू धर्म और हिंदूत्व का ढोंग करने वालों की नियत को दर्शा रहा है|