अल्मोड़ा (Almora) में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान तेजी से गूंज रहा है। राजकीय कन्या माध्यमिक विद्यालय भतरौंजखान इसका एक जीता जागता प्रमाण है। यहां पढ़ने वाली बेटियां जर्जर हो चुकी और टपकती छत के नीचे अपने सुनहरे भविष्य के सपने देखने के लिए मजबूर हैं। बेटियों की परेशानी के कोई हल नही निकल रहें हैं।

सरकार बालिकाओं को बेहतर शिक्षा (Education) देने के दावे कर रही हैं लेकिन इन दावो का जमीनी स्तर पर कोई असर नहीं दिख रहा हैं। अल्मोड़ा में बेटियों के स्कूल की भवन की छत जर्जर हो चुकी है। हल्की बारिश में भी छत टपक कर पानी कक्षाओं में पूरा पानी भर जाता है। ऐसे में नौघर, लौकोट, दनपो, च्यूनी, भतरौंज, नूना, बधाण, रुदबौ, सूणी, देवरापानी समेत आसपास के गांवों की पढ़ने वाली 108 बेटियां टपकती छत के नीचे बैठकर पढ़ रही हैं।

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स्कूल में प्रधानाचार्य का पद पांच सालों से रिक्त चल रहा है। प्रधानाचार्य नहीं होने उनकी पढ़ाई पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। छात्राओं व अभिभावकों ने कई बार प्रधानाचार्य की नियुक्ति की मांग की लेकिन सुनवाई नहीं हुई। एक शिक्षिका को प्रधानाचार्य की जिम्मेदारी सौंपकर औपचारिकता निभाई गई है।

खेलने के लिए भी नहीं हैं जगह

राजकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में खेल का मैदान भी नहीं है। विद्यालय की खेल गतिविधियों का आयोजन प्रार्थना स्थल पर ही किसी तरह कराया जाता है। खेल मैदान न होने से बेटियां अपनी प्रतिभा नहीं दिखा पा रही हैं। अभिभावकों का कहना है कि छात्राएं भी खेलों में आगे बढ़ना चाहतीं हैं लेकिन खेल मैदान की कमी आड़े आ रही है।

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