चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र थराली रेफर सैंटर बनकर रह गया है। करीब 15 साल पहले सीएचसी में उच्चीकृत हुए इस अस्पताल में बालरोग विशेषज्ञ, स्त्रीरोग विशेषज्ञ, नेत्ररोग विशेषज्ञ, सर्जन, ईएनटीरोग विशेषज्ञ व हड्डीरोग विशेषज्ञ के पद सृजित होने के बावजूद पदों पर डाक्टरों की नियुक्ति नहीं की गई है। ऐसे में कई बार महिलाओं और बच्चों को अपनी जान से हाथ तक धोना पड़ता है।
तलवाड़ी गांव निवासी व वरिष्ठ पत्रकार मनोहर बिष्ट ने स्वास्थ्य मंत्री को भेजे पत्र में कहा कि 31 दिसंबर 2021 को उनके वीर सैनिक के भतीजे के पांच माह के बेटे को सांस लेने में तकलीफ होने के कारण परिजन बच्चे को सीएचसी थराली लेकर पहुंचे, लेकिन वहां बाल रोग विशेषज्ञ न होने से डॉक्टरों ने बच्चे को प्राथमिक इलाज के बाद हायर सैंटर रेफर किया। इस दौरान रास्ते में बच्चे की तबियत ज्यादा खराब होने लगी तो परिजनों से उसे रूद्रप्रयाग जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन वहां बच्चे की जान नहीं बच सकी। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी थराली अस्पताल में डॉक्टरों के अभाव में बच्चों, महिलाओं व बुजुर्गों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी है। साथ ही उनके गांव में इससे पहले भी इलाज के अभाव में पूर्व में एक बच्चे को जान गवानी पड़ी थी। उन्होंने जल्द थराली अस्पताल में डाक्टरों की नियुक्ति की मांग उठाई है।
वीर सैनिक को क्या जवाब देगी सरकार
पत्रकार मनोहर बिष्ट ने बताया कि उनका भतीजा सेना में हिमाचल के रिकांग पिओ की बर्फीली पहाड़ियों पर देश की सुरक्षा में तैनात हैं। लेकिन इधर गांव में सरकार उस वीर सैनिक के पांच माह के बच्चे को उपचार के अभाव में नहीं बचा सकी। उन्होंने आरोप लगाया कि एक ओर सरकार वीर सैनिकों के लिए सम्मान की बात करती है और वहीं, लचर स्वास्थ्य व्यवस्था के कारण वीर सैनिकों के अपनों की जान नहीं बचा सकती है।
150 गांवों के 25 हजार लोग निर्भर
सीएचसी थराली में पूरी पिंडरघाटी से लोग इलाज कराने जाते हैं। थराली के जिपसं देवी जोशी, महेश त्रिकोटी, बबिता त्रिकोटी, प्रेमबल्लभ शर्मा, बिजेंद्र सिंह, महिपाल सिंह, राजेंद्र सिंह ने कहा कि थराली अस्पताल में इलाज के लिए घेस, हिमनी, सौरीगाड़, कांडे, चेपड़ों, जौला, सेरा, विजयपुर, सुनाऊं, कस्बीनगर, पेंनगढ़, थराली, तलवाड़ी, लोल्टी, थाला, नैल, ढालू, भटियाणा, धारबारम, गैरबारम गांवों सहित 150 ग्राम सभाओं से लोग इलाज को आते हैं। लेकिन विशेषज्ञ डॉक्टर न होने से मरीजों को हायर सैंटर जाना पड़ा है।
इनका कहना है
पिंडरघाटी में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है। सरकार पांच साल के कार्यकाल में थराली अस्पताल में एक भी डॉक्टर की नियुक्ति नहीं कर पाई। जनता विधानसभा चुनावों में राज्य सरकार को सबक सिखाने का मन बना चुकी है।
डॉ. जीतराम, पूर्व विधायक थराली,
इनका कहना है
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र थराली में विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए लगातार शासन को पत्राचार के माध्यम से अवगत कराया जाता है। शासन से ही विशेषज्ञ डाक्टरों की नियुक्ति हो पाएगी। प्रतिमाह मासिक रिपोर्ट में रिक्त पदों का व्योरा सीएमओ को भी भेजा जाता है।
डॉ. पूनम टम्टा, प्रभारी चिकित्साधिकारी थराली।