पुलिस जनता की सेवा के लिए उनकी मदद के लिए,पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए और अपराध की रोकथाम के लिए होती है। हत्या रेप जैसे जधन्य अपराधों को रोकने और जो घटित हो जाए उनका खुलासा कर न्याय दिलाने का काम भी करती है। लेकिन ये कैसी पुलिस है और कैसे वो एक मृत इंसान को और उसके परिवार वाले को न्याय दिलाएगी.
जी हां हम ये इसलिए कह रहे हैं क्योंकि काठगोदाम से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. जी हां बता दें कि किसी की मौत का राज खोलने के लिए विसरा एक अहम भूमिका निभाता है।य़ जब पोस्टमार्ट रिपोर्ट में मौत का राज नहीं खुलता तो विसरा सुरक्षित कर जांच कराई जाती है। लेकिन काठगोदाम पुलिस लगता है फाइलों को धूल फांकने के लिए रखना चाहती है। जीहां क्योंकि यहां 40 से अधिक बिसर सड़ रहे हैं. पुलिस ने इन्हें सीज कर कैंटर के अंदर सड़ने रख दिया है।
एक निजी वेबसाइट के अनुसार मामला काठगोदाम थाने का है। जहां पुलिस ने40 से अधिक विसरों को इसलिए सुरक्षित रखा था ताकि मौतों से पर्दा उठ सके और हत्यारों को सलाखों के पीछे भेजा जा सके। काफी समय तक पुलिस ने इन बिसरों को पहले मोर्चरी में रखा। इसके बाद काठगोदाम थाने में ले जाकर रख दिया। हालात येहैं कि विसरा लंबे समय से सीज कैंटर के अंदर रखने पर सड़ चुके हैं। सड़े-गले मांस और हड्डियों के अवशेष प्लास्टिक के डिब्बों के अंदर मिट्टी हो रहा है।
पुलिस की इस हरकत से ऐसा लग रहा है मानों को मौतों का खुलासा करना चाहती ही नहीं है और मौत का राज छुपाना चाहती है। कैंटर में विसरा रखने की असली वजह क्या है और कितना साल पुराना है। यह जांच का विषय है। इस मामले में फोरेंसिक साइंस लेब के संयुक्त निदेशक डा. दयालशरण शर्मा का कहना है कि 1 विसरा 3 साल तक सुरक्षित रखा जा सकता है। बशर्ते कि बिसरा अस्पताल या फोरेंसिक लेब के मालखाने में होना चाहिए। थाना या चौकी में विसरा एक साल तक सुरक्षित रह सकता है। मालखाने में विसरा को सैलाइंग वाटर व फोरमिलिंग में रखा जाता है। ताकि वह लंबे समय तक सुरक्षित रहे। खुले में रखा विसरा एक साल बाद खराब हो जाता है और जांच के काबिल नहीं रहता है।
ऐसे हुआ मामले का खुलासा
दरअसल कुछ दिनों पहले 1 मौत के मामले से पर्दा हटाने और राज जानने के लिए विसरा की जरूरत पड़ी। पता चला कि काठगोदाम थाने में रखा गया है। टीम मौके पर पहुंची तो थाने के अंदर वह बिसरा नहीं था। पता चला कि एक सीज कैंटर में विसरा रखा है। टीम ने सीज कैंटर का दरवाजा खोलकर डिब्बे में बंद सेंपल जांच के लिए निकाला और लेब भेजा। पुष्ट सूत्रों के अनुसार वह विसरा सड़ चुका था। जिससे मौत का कारण पता नहीं चल सका।