वनों में आग लगाने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज के साथ होगी सख्त कार्रवाई, फायर कन्ट्रोल में सहयोग करने वालों को किया जाएगा सम्मानित।
वनाग्नि घटनाओं की रोकथाम एवं उसके प्रबंधन और कार्य योजना को लेकर बृहस्पतिवार को जिलाधिकारी हिमांशु खुराना की अध्यक्षता में जिला स्तरीय वनाग्नि सुरक्षा अनुश्रवण समिति की बैठक हुई। जिसमें वन विभाग के अधिकारियों को वनाग्नि की रोकथाम हेतु पूरी तैयारी रखने, पर्यावरण एवं जंगलों के महत्व के प्रति लोगों को जागरूक करने और सबकी सहभागिता से वनाग्नि घटनाओं की रोकथाम हेतु कार्य करने के निर्देश दिए गए।
जिलाधिकारी ने निर्देशित किया कि ब्लाक स्तर, ग्राम पंचायत एवं वन पंचायत स्तर पर शीघ्र बैठक आयोजित कर वनाग्नि सुरक्षा समितियों को सक्रिय करें। संवेदनशील एवं अति संवेदनशील वन क्षेत्रों में स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण देने के साथ ही फायर फाइटिंग किट दी जाए।
एनआरएलएम महिला समूहों से कर्न्वेजेंस करते हुए वन क्षेत्रों में पिरूल एकत्रित कर उपयोग में लाया जाए। विगत वर्षो की गतिविधियों और उसके प्रभाव के आधार फायर सीजन के लिए प्रभावी कार्य योजना तैयार की जाए। वनाग्नि की रोकथाम में अच्छा कार्य करने वाले लोगों को सम्मानित किया जाए। समिति की बैठक में वनाग्नि की रोकथाम के लिए वन पंचायत सरपंचों सहित अन्य जनप्रतिनिधियों के सुझाव भी लिए गए। जिलाधिकारी ने कहा कि नए वन अधिनियम के अंतर्गत वनाग्नि की रोकथाम हेतु वन क्षेत्रों फायर कन्ट्रोल लाइन बनाई जा सकती है। उन्होंने अति संवेदनशील वन क्षेत्रों में फायर लाइन बनाने हेतु प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश भी दिए।
वनों में आग लगाने वाले असामाजिक तत्वों को चिन्हित कर सख्त से सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाए। ग्रामीण स्तर पर युवाओं, महिलाओं, स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण देकर वनाग्नि के दुष्परिणामों के बारे में जागरूक करें। जिलाधिकारी ने फायर सीजन के दौरान सभी विभागों को आपसी समन्वय बनाकर कार्य करने के निर्देश भी दिए। वन क्षेत्राधिकारियों को सभी अधिकारियों, वन पंचायत सरपंचों एवं ग्राम प्रहरी के फोन नंबर अपडेट रखने व निर्धारित प्रारूप में समय से वनाग्नि दुर्घटनाओं की जानकारी प्रसारित कराने को कहा, ताकि आग लगने पर बुझाने की त्वरित कार्यवाही की जा सके।
बैठक में डीएफओ सर्वेश कुमार दुबे ने बताया कि चमोली जिले में 506094.473 है0 वन क्षेत्र है। इसमें से 161547.25 है0 वन क्षेत्र संवेदनशील और 39736.62 है0 अति संवेदनशील है। पिछले वर्ष जिले में वनाग्नि की मात्र 49 घटनाएं हुई थी जिसमें 52.12 है0 वन क्षेत्र प्रभावित हुआ। उन्होंने बताया कि फायर सीजन में सरफेस फायर, ग्राउंड फायर तथा क्राउन फायर से वनो को अत्यधिक नुकसान होता है। जिले में अधिक वन क्षेत्र, वनों का दुर्गम क्षेत्रों में स्थित होने एवं मानव संसाधनों के अभाव के कारण वनाग्नि की रोकथाम में व्यावहारिक कठिनाई रहती है।
वनाग्नि की रोकथाम के लिए 106 क्रू स्टेशन स्थापित किए गए है। जिसमें फायर वाचरों की तैनाती कर दी गई है। इस दौरान उन्होंने वन विभाग में उपलब्ध संसाधनों एवं उपकरणों की जानकारी दी और वनाग्नि के प्रति जन जागरूकता एवं अग्निशमन में सहयोग करने की अपील की। बैठक में पुलिस अधीक्षक रेखा यादव, डीएफओ वीबी मर्तोलिया, एसडीओ जुगल किशोर, परियोजना निदेशक आनंद सिंह, आपदा प्रबंधन अधिकारी एनके जोशी सहित समस्त वन क्षेत्राधिकारी, समिति के सदस्य ओम प्रकाश भट्ट, महानंद बिष्ट आदि मौजूद थे।