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देहरादून : हरक सिंह रावत विधानसभा चुनाव से पहले और  बाद में चर्चाओं में रहे. बहू को टिकट ना मिलने से नाराज हरक सिंह रावत कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस ने उनकी बहू को टिकट दिया लेकिन दिलीप सिंह रावत ने उन्हें कड़ी शिकस्त दी. वहीं अब मानों हरक सिंह रावत राजनीति से गायब हो गए हैं. मानों कांग्रेस में उनका कोई अस्तित्व ही नहीं है. हमेशा मीडिया में अपने बयानों को लेकर छाए रहने वाले पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत गुम हो गए थे लेकिन अब वो फिर से चर्चाओं में आ गए हैं. खबर है कि वो भाजपा ज्वॉइन करने जा रहे हैं लेकिन ये बात कभी उन्होंन खुद नही कही तो इसको पुख्ता नहीं मान सकते लेकिन इतना साफ है कि वो हरीश रावत के अगेंस्ट हैं, क्योंकि प्रीतम का साथ ये साफ दर्शाता है.

विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस में अंतर्कलह कम होने का नाम नहीं ले रही है.  प्रीतम और हरीश रावत की लड़ाई खुलकर सामने आई. फेसबुक पोस्ट के जरिए दोनों ने एक दूसरे पर जमकर हमला किया. एक बार फिर से पार्टी के भीतर हरीश रावत विरोधी मोर्चा नए सिरे से मुखर हुआ है। बीते दिनों हरीश रावत हार के लिए उन्हें ही जिम्मेदार ठहराने वाले नेताओं पर बरस चुके हैं। यही नहीं, उन्होंने हरिद्वार में उनके विरुद्ध प्रचार अभियान चलाने का आरोप लगाते हुए पार्टी हाईकमान से ऐसे व्यक्तियों पर कार्यवाही की मांग की थी। तब उनके निशाने पर प्रमुख रूप से पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह थे।

इस मामले में बीते दिन नया मोड़ तब आया जब प्रीतम सिंह के साथ ही वर्तमान उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी, कुछ पूर्व विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों ने पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत के आवास पर बैठक की। बैठक में इन नेताओं के निशाने पर हरीश रावत रहे थे। मंगलवार को हरीश रावत विरोधी मोर्चे ने हरिद्वार में डेरा डालकर चौंका दिया। हरिद्वार की राजनीति में हरीश रावत के करीबी रहे श्रीजयराम आश्रम के स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी से हरक सिंह के नेतृत्व में मोर्चे के नेताओं ने भेंट की। इस बैठक में हरिद्वार लोकसभा सीट को लेकर चर्चा ने राजनीति गर्मा दी है।

खास बात यह है कि हरीश रावत के हरिद्वार के प्रस्तावित दौरे से एक दिन पहले बैठक में पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत ने हरिद्वार लोकसभा सीट पर दावेदारी पेश की है. इस दौरान उनके साथ प्रीतम सिंह समेत तमाम नेता मौजूद रहे। लोकसभा चुनाव दो साल बाद 2024 में होने हैं, लेकिन अभी से इस कसरत ने हरिद्वार की राजनीति में नए ध्रुवीकरण के संकेत भी दे दिए हैं। मोर्चा इस कोशिश में जुटा है कि हरिद्वार से अधिक से अधिक संख्या में स्थानीय नेताओं और पार्टी विधायकों का समर्थन जुटाया जाए। हरक सिंह रावत और प्रीतम सिंह अभी से इस कसरत में जुटते दिखाई दे रहे हैं.

इससे हरीश रावत खेमे में हलचल मची हुई है. कांग्रेस में धमासान मचा हुआ है.

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