राकेश सती / शंखनाद इंडिया नारायणबगड़
सरकार द्वारा गरीबों के उत्थान हेतु जहॉ कई सरकारी योजनाओं का संचालन किया जाता है। लेकिन क्या ये योजनाएं उन गरीब काश्तकारों तक पहुँच पाती है, जिनके लिए ये योजनाएं चलाई जाती है। लेकिन हकीकत कुछ और है, जिसकी बानगी नारायण बगड वि0ख0 के पशु पालन विभाग में दिखाई देती है जहॉ पर बीपीएल श्रेणी के चयनित काश्तकारों को सरकार द्वारा भेड पालन, बकरी पालन, गौ पालन व मुर्गी पालन हेतु अनुदान पर सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाता है, लेकिन सूचनाधिकारी से प्राप्त जानकारी के आधार पर जो तथ्य सामने आया वो बड़ा चौकाने वाले है। जिसमें फर्जी बिलों के माध्यम से काश्तकारों को पशुओं हेतु दिया जाने वाला पशुआहार, पशु ढुलान व फर्जी काश्तकारों से गाय, बकरी को खरिद के साथ मुर्गी बाडा व बकरी बाडा निर्माण हेतु सरकारी धन को ठीकाने लगाये जाने के साथ कास्तकार से योजना को लाभ दिलाये जाने हेतु पैसे लेने की बात भी सामने आयी है।
सामाजिक कार्यकर्ता मंगल सिंह के अनुसार उनके द्वारा सूचना अधिकार 2005 के तहत नारायण बगड वि0ख0 में 2015 से वर्तमान तक पशुपालन विभाग नारायण बगड द्वारा किन -किन काश्तकारों को सरकारी योजना का लाभ दिया गया। व क्या-क्या लाभ दिया गया उससे सम्बन्धित सूचना मांगी गयी व उक्त सूचना के आधार पर जब काश्तकारों से सम्पर्क किया गया तो पशुपालन विभाग का बडा घोटाला सामने आया। जिसमें वर्ष 2014-15 में ए0सी0पी0 योजना के तहत पॉच कास्त कारो का गौ पालन हेतु चयन किया गया व जिन्हे गाय तो मिली लेकिन पशु आहार के रूप में चारा नही दिया गया। जबकि 3000रू0 के हिसाब से पशु आहार के बिल दिखाये गये। वहीं एक काश्तकार मोहन लाल पुत्र कुरू लाल जिनकी गाय एक माह के उपरोन्त ही मर गयी तो इन्शोरेन्स दिलाने के नाम पर 4000 रू0 लिये गये। वहीं मोहन लाल के नाम पर दिनॉक 28/01/2015 को बकरी योजना के तहत 51 हजार रू0 की बकरी प्राप्त करना दर्शाया गया लेकिन मोहन लाल के अनुसार उन्हें किसी प्रकार की कोई बकरी नही मिली बताया गया।
जबकि एक अन्य काश्तकार को 2017-18 में अहिल्या बाई होल्कर याेजना के तहत धरम सिंह पुत्र विशन सिंह का बकरी पालन हेतु चयन हुआ था। धरम सिंह के अनुसार पहले उससे योजना दिलाये जाने के नाम पर 20000 रू0 लिये गये वहीं उनसे बकरिये खरिदने के लिए कहा गया। जब उन्होंने बकरियें खरिद ली तो उन्हें महज 35 हजार रू0 दिया गया। जबकि बिल में 60 हजार रू0 बकरी खरिद व 20 हजार रू0 बकरी बाडा के रूप में बिल दर्शाया गया व वही अन्य ए0सी0पी0 योजना 2017-18 मेंं भेड पालन हेतु दरवानी राम पु्त्र कालू राम का चयन हुआ जिसमें विभाग द्वारा काश्तकार से बकरियां स्वयं खरीदने को कहा व काश्तकार को महज 35 हजार रू0 का भुगतान किया गया जबकि सूचना अधिकार से प्राप्त जानकारी में 44 हजार रू0 बकरी खरिद 28000रू0 बकरी बाडा मरम्मत व निर्माण व 4700 ढुलान व 11हजार रू0 अन्य खर्च का दर्शाया गया है।
वहीं जिस व्यक्ति से बकरी खरिद दिखाई गयी है। वह कई वर्षो से नारायणबगड़ में दुकान करता आ रहा है। जबकि इनका पुत्र उस समय कन्सोला प्रधान था वहीं इसी योजना के गौ पालन हेतु चन्द्री लाल जो कि पन्ती प्रधान भी थे। जिन्हें स्थानीय गौ पालक महेशा नन्द सती से 15 हजार रू0 की गाय दिलायी गयी जबकि योजना में 40 हजार का ब्यय दिखाया गया। वहीं प्राप्त सूचनाअधिकार में यह तथ्य भी सामने आये है कि जिन व्यक्तियों ने बकरी व गायों काे काश्तकारों को बेचा है वे स्थानीय दुकानदार है जिनका गौ पालन व बकरी पालन से कोई भी सम्बन्ध नही है। वहीं हरमनी झंगोरगॉव के काश्तकार जगदीश राम को गाय व हंसकोटी के गजपाल राम जिन्होने की बकरी पालन योजना दी गयी लेकिन काश्तकारों के अनुसार उन्हें न तो बकरी के मरने की स्थिति में इन्शोरेन्स दिया गया न योजना का पूरा पैसा उन्हें मिला है। जबकि मुर्गी पालकों को न तो दाना दिया गया ना ही जाली।