देहरादून: देहरादून में उत्तराखंड डाक विभाग की भर्ती में एक बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। यह मामला उन अभ्यर्थियों का है, जिन्हें हिंदी भाषा तक नहीं आती, फिर भी वे डाक सेवक के पद पर चयनित हो गए हैं। यह सिर्फ एक या दो व्यक्तियों का मामला नहीं है, ऐसे अभ्यर्थियों की संख्या सैकड़ों में हो सकती है।
डाक विभाग ने राज्य के लिए ब्रांच पोस्ट मास्टर और असिस्टेंट ब्रांच पोस्ट मास्टर के 1200 पदों पर भर्ती निकाली थी। इस भर्ती में मेरिट के आधार पर चयन किया गया, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि अधिकांश चयनित अभ्यर्थी पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों से हैं, जबकि स्थानीय युवाओं का नाम मेरिट लिस्ट में नहीं आया।
एक विशेष मामले में, एक अभ्यर्थी को हरियाणा बोर्ड ने 10वीं कक्षा में हिंदी समेत सभी विषयों में ए++ ग्रेड दिया, जबकि वह सामान्य हिंदी शब्दों को भी लिख नहीं सकता। जब उत्तराखंड डाक विभाग के इंस्पेक्टर ने इस विषय पर हरियाणा बोर्ड के अधिकारियों से संपर्क किया, तो उन्हें कहा गया कि अभ्यर्थी को उसके अकादमिक पृष्ठभूमि के आधार पर नंबर दिए गए हैं।
विभाग की प्रारंभिक जांच में छह मामले सामने आए हैं, जिनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। इसके अलावा, जांच की जा रही है कि कहीं और भी ऐसे फर्जी अभ्यर्थी तो नहीं हैं। अगर ऐसे अभ्यर्थियों का पता चला, तो उन्हें भी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
हाल ही में यूपी पुलिस ने मेरठ से एक फर्जीवाड़े के गैंग का खुलासा किया था, जिसमें 13 सदस्य गिरफ्तार किए गए थे। यह माना जा रहा है कि इस गैंग के तार उत्तराखंड में चयनित अभ्यर्थियों से भी जुड़े हो सकते हैं।
उत्तराखंड डाक सेवाएं निदेशक अनसूया प्रसाद चमोला ने स्पष्ट किया है कि किसी भी गलत तरीके से भर्ती पाने वाले अभ्यर्थियों का चयन विभाग में नहीं किया जाएगा। जांच जारी है, और सभी अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की जांच की जा रही है।
यह मामला न केवल स्थानीय युवाओं की हकदारी पर सवाल उठाता है, बल्कि भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े करता है। अब देखना होगा कि विभाग इस फर्जीवाड़े को रोकने के लिए क्या कदम उठाता है।