Big Breaking : हरिद्वार में सिखों के दसवें गुरू गुरू गोविंद सिंह द्वारा स्थापित श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल में वर्चस्व को लेकर घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है अखाड़े में दो गुट एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं कुंभ मेले के दौरान अखाड़े के सचिव महन्त बलवंत सिंह को अखाड़े की संपत्तियां खुर्द-बुर्द किए जाने और भू-माफियाओं से मिलकर अखाड़े के पदाधिकारियों के साथ दबंगई करने के आरोप में सचिव पद से बर्खास्त कर दिया गया था उनकी जगह कार्यवाहक सचिव इलाहाबाद के रहने वाले महन्त देवेन्द्र सिंह को बनाया गया था यह मामला कोर्ट ने चल रहा है मगर आज पंजाब से काफी संख्या में संत हरिद्वार श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल पहुंचे जिसके बाद यह विवाद एक बार फिर गरमा गया

क्या बोले संत महंत रेशम सिंह
पंजाब से आए संत महंत रेशम सिंह का कहना है कि हम यहां पर गुरु नानक पर्व मनाने आए हैं क्योंकि यहां हमारा अखाड़ा है हमारे लिए सभी संत आदरणीय है हमारे यहां आने पर अखाड़े का गेट जसविंदर सिंह द्वारा बद कर दिया गया हमने आराम से यहां बैठकर गुरु अरदास की यह अखाड़ा सिर्फ जसविंदर सिंह का नहीं है सभी साधु संतों का अखाड़ा है अखाड़े का कोई भी संत यहां पर आ सकता है पंजाब में किसी भी संत की मृत्यु होती है तो उनकी अस्थियां यहीं पर लाई जाती है उसके बाद गंगा में प्रवाहित की जाती है हम भी और यह भी निर्णय अखाड़े के ही संत है हमारे बीच में कोई भी विवाद नहीं है और ना ही हम यहां कब्जा करने आए है

अखाड़ा निर्मल के कोठारी महंत जसविंदर सिंह का बयान
वही इस मामले पर श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के कोठारी महंत जसविंदर सिंह का कहना है कि यह मामला अखाड़े की संपत्ति पर कब्जे का है क्योंकि जिस तरह से इतनी संख्या में यह संत आए हैं यह कब्जा करने के इरादे से आए हैं क्योंकि पहले भी इनके द्वारा अखाड़े की संपत्ति को खुर्द खुर्द किया गया है वो मामला कोर्ट में चल रहा है जिसमें इनके वारंट भी हो गए है उसके बावजूद भी ये यहां पर कब्जा करने आए हैं अखाड़े में श्री महेंद्र ज्ञानदेव जी 1993 से अध्यक्ष पद पर है पर इन लोगों द्वारा फर्जी तरीके से नया अध्यक्ष बनाया गया जिसका इन्हे अधिकार भी नहीं है क्योंकि अखाड़े का अपना संविधान होता है और उसके अनुरूप ही कार्य किया जाता है