मदनमोहन ढौंडियाल/

चीन के शिनचियांग में कुछ मुस्लिम नामों पर बैन लगा है. इसका मतलब है कि वहां रहने वाले उइगुर लोग अपने बच्चों को ये नाम नहीं दे पाएंगे. इनमें कौन कौन से नाम शामिल हैं आप ध्यान से पढ़ सकते हैं। विदेशों में रहने वाले उइगुर कार्यकर्ताओं के अनुसार कुल मिलाकर 29 नामों पर पाबंदी लगायी गयी है, जिनमें मोहम्मद, जिहाद और इस्लाम जैसे नाम शामिल हैं. जिन नामों को चीनी अधिकारियों ने बैन किया है, उनमें कई पदों और जगहों के नाम हैं तो कई राजनीतिक शख्सियतों के. मसलन इमाम, हज, तुर्कनाज, अहजर और वहाब के साथ साथ इस लिस्ट में सद्दाम, अराफात, मदीना और काइरो जैसे नाम भी शामिल हैं

.शिनचियांग प्रांत के नामों पर पाबंदी इसलिए लगायी गयी है क्योंकि उनकी एक “धार्मिक पृष्ठभूमि” है. हालांकि यह साफ नहीं है कि इस प्रतिबंध पर कितनी सख्ती से अमल हो रहा है और कितने इलाके में इसे लागू किया जा रहा है. शिनचियांग में लगभग एक करोड़ उइगुर लोग रहते हैं जो तुर्क मूल के हैं. सुन्नी इस्लाम को मानने वाले इन लोगों पर पहले भी कई तरह की धार्मिक पाबंदियां लगाए जाने की खबरें आती रही हैं. माना जा रहा है कि नामों पर प्रतिबंध लगाना इस क्षेत्र को धर्मनिरपेक्ष बनाने की सरकार की कोशिशों का हिस्सा हो सकता है.चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता शिनचियांग में बढ़ते कट्टरपंथ को लेकर चिंतित हैं.

पार्टी के शिनचियांग प्रमुख ने कहा कि इस इलाके में मध्य एशिया से कुट्टरपंथियों की घुसपैठ हो रही है. हाल के समय में शिनचियांग में कई हमले हुए हैं. दूसरी तरफ उइगुर कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार समूहों का कहना है कि चीन की तरफ से लगाई जा रही पाबंदियों के कारण ही कट्टरपंथी सोच और हिंसा को बढ़ावा मिल रहा है. वर्ल्ड उइगुर कांग्रेस के प्रवक्ता दिलक्सत रक्सित का कहना है कि नामों पर पाबंदी लगाना उइगुर लोगों के प्रति चीन सरकार के “शुत्रतापूर्ण रवैए” को दिखाया है. उन्होंने कहा, “हान चीन लोग अगर अपने बच्चों के पश्चिमी नाम रखते हैं तो इसे फैशनेबल माना जाता है, लेकिन उइगुर लोगों को अपने बच्चों के नाम रखने से पहले अधिकारियों से पूछना होगा, नहीं तो उन पर अलगाववादी और आतंकवादी होने के आरोप लगाये जाएंगे.

चीन के शिनचियांग प्रांत की सीमाएं पाकिस्तान और अफगानिस्तान से लगती हैं. यह इलाका चीन में रहने वाले उइगुर मुसलमानों का है. हाल के समय में वहां हमले बढ़े हैं जिनमें सैकड़ों लोग मरे गए हैं. चीन की सरकार इसके लिए धार्मिक कट्टरपंथियों को जिम्मेदार मानती है. कट्टरपंथ को रोकने और स्थिरता बनाने के नाम पर सरकार ने धार्मिक गतिविधियों पर कई तरह की बंदिशें लगाई हैं. धार्मिक मामलों से संबंधित सरकारी प्रशासन के प्रमुख वांग चुओआन कहते हैं कि कट्टरपंथी विचारधारा अब चीन के दूसरे हिस्सों में भी फैल रही है. चीनी अखबार चाइना डेली की खबर के अनुसार उन्होंने चीनी इस्लामिक एसोसिएशन की कांग्रेस में ये बात कही. अखबार ने कट्टरपंथ के फैलने के बारे में स्पष्ट ब्यौरा तो नहीं दिया है और न ही यह बताया है कि किन प्रांतों में खासतौर से यह समस्या देखने को मिल रही है.

रिपोर्ट में वांग के हवाले से कहा है कि चीन के सरकारी इस्लामी मौलवियों को कट्टरपंथ से निपटने में सबसे अहम भूमिका अदा करनी चाहिए.चीन में मुसलमानों की आबादी 2.1 करोड़ है, उनमें से एक वर्ग उइगुर मुसलमानों का है. हुई समेत अन्य मुसलमान समूह देश के दूसरे हिस्सों में रहते हैं. पश्चिमी क्षेत्र निंगशिया और दक्षिण पश्चिमी युन्नान प्रांत में कई मुसलमान समूह रहते हैं. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने देश के मुसलमानों से कहा है कि वे गैर कानूनी धार्मिक “घुसपैठ” से दूर रहें.