उत्तराखंड पंचायतीराज अधिनियम (Uttarakhand Panchayati Raj Act)-2016 संशोधन विधेयक सदन के पटल पर रखा गया। इसके तहत विभिन्न धाराओं में लघु उल्लंघनों  पर कारावास की सजा दिए जाने संबंधी व्यवस्था में संशोधन किया गया है। इसके तहत अर्थदंड का प्रावधान यथावत रखा गया है, जबकि जेल भेजे जाने का प्रावधान हटा दिया गया है।

विधेयक के पास होने के बाद त्रिस्तरीय पंचायतीराज व्यवस्था में कार्यकाल समाप्त हो जाने के बाद बस्ता (पंचायत रिकार्ड) (Panchayat Record) नहीं सौंपने पर   पंचायत प्रतिनिधियों को सजा नहीं होगी जबकि जुर्माने प्रावधान को बरकरार रखा गया है। जुर्माने की राशि 10 हजार से 50 हजार तक रहेगी। उत्तराखंड पंचायतीराज अधिनियम (Panchayati Raj Act) (संशोधन) विधेयक-2022 विधानसभा में पारित होने के बाद कानून का रूप ले लगेगा।

यह भी पढ़े…

सत्र का दूसरा दिन: महिला आरक्षण बिल और अनुपूरक बजट पास कराएगी सरकार

उत्तराखंड जिला योजना समिति अधिनियम 2007 की धारा 6 में संशोधन का विधेयक भी सदन के पटल पर रखा गया है। विधेयक   के पास हो जाने के बाद क्षेत्र पंचायत प्रमुख (Area Panchayat Head) अपने जिले की जिला योजना समिति की बैठकों में नियमित रूप से प्रतिभाग कर सकेंगे। अभी तक उत्तराखंड जिला योजना समिति अधिनियम-2007 की धारा-6 की उपधारा (4) में क्षेत्र पंचायत प्रमुखों को अपने जिले की जिला योजना समिति में प्रतिभाग किए जाने की रोस्टर व्यवस्था है।