शंखनाद INDIA/अजय तिवारी/कोटद्वार:-  कोटद्वार की तीन नदियां खोह, सुखरौ तथा मालनी नदी सोना उगल रही हैं, कभी सुखरो नदी से दो चार गधों में रेत बजरी ढोने वाले कई ट्रैक्टरों डम्परों तथा कई आलीशान भवनों के मालिक बन बैठे तो डम्पर और टैक्टरों से अवैध खनन करने वालों ने तो कोटद्वार क्षेत्र की तीन प्रमुख नदियों को अवैध खनन के चलते सोना उगलने वाली नदियां बना डाला है। पर्वतीय क्षेत्रों में लोग सरकारी सेवाओं के तहत सेना तथा शिक्षकों के रूप में भारी संख्या में नौकरी करते हैं कभी इन दोनों नौकरियों में कम वेतन मिलता था तथा कोटद्वार में तब जमीन के भाव मामूली हुआ करते थे लेकिन उसके बाद आये एक के बाद एक नये वेतन आयोगों ने सैनिकों तथा शिक्षकों के वेतन में भारी भरकम बढोत्तरी कर दी तथा इसका परिणाम यह निकला कि कभी कोटद्वार में मामूली पैसों में बिकने वाली जमींन का बाजार भाव लाखों तथा करोड़ बीघा में पंहुच गया तथा मोटे वेतन के चलते सैनिकों तथा शिक्षकों ने जमीन के दलालों के माध्यम से मंहगे महंगे दामों पर भूखण्ड खरीदने प्रारम्भ किए ।

जमीनों की इस खरीद में दो पैसे के दलाल भी करोड़पति धन्ना सेठ बन गये।कभी मोटर गैराज और व्यापारिक मंडी के नाम से जाने जानी वाला गढ़वाल का प्रवेशद्वार कोटद्वार जमीन के दलालों की मोटी कमाई का अड्डा बन गई ।जमीन के वास्तविक मालिकों से चंद रूपयों में जमीन खरीदकर इन दलालों ने करोड़ों की कमाई की, उधर मोटा वेतन मिलना शुरु हुआ इस अकूत धन को खर्च करने के लिए पर्वतीय क्षेत्रों से शिक्षा तथा भौतिक सुविधाओं को भोगने के नाम पर पलायन ने जोर पकड़ना शुरु किया तथा कोटद्वार नगर गढ़वाल के सैनिक तदा शिक्षक लोगों के लिए पसंदीदा और मुफीद शहर बन गया प्रति दिन सैकड़ों मकान यहां बनने लगे जिसका परिणाम हुआ कि बिहार के बांग्लादेश से लगे सीमान्त राज्य किशनगंज से हजारों मजदूरों ने कोटद्वार में बसाबट शुरु कर दी ,वहीं यहाॅ खनन सामग्री के भाव आसमानों को पंहुच गये तथा अवैध खनन के कारोबार से जुड़े लोगों के लिए खोह नदी , सुखरो नदी तथा मालनी नदी सोना उगलने लगे।

इस अवैध खनन के कारोबार ने इतनी कमाई की कि दो चार गधों से रेत बजरी ढोने वाला भी चंद दिनों में कई टैक्टरों डम्परों तथा दो तीन आलीशान भवनों का मालिक बन बैठे तो ट्रैक्टरों तथा डम्परों से खनन करने वालों की कमाई का हिसाब तो बेहिसाब पंहुच गया।आज हालात यह हो गये हैं कि पूरी पूरी रात खोह और सुखरौ नदी में सैकड़ों टैक्टर और डम्पर अवैध खनन में लगे रहते हैं और अवैध खनन के कारोबारियों के वन विभाग के पनियाली रेंज आफिस से लेकर लैंसडौन वन प्रभाग कार्यालय से नदियों को जाते रास्तों पर अपने गुर्गे बैठाये रहते हैं जो वनकर्मियों की हर गतिविधि की खबर अवैध खनन में जुटे लोगों को दे देते हैं ।

वहीं अवैध खनन मे जुटे माफिया के हौंसले इतने बुलंद हैं कि वह कई बार वन विभाग के रेंजर्स पर प्राण घातक हमले करके भय पैदा का माहौल बनाने का प्रयास करते हैं ।वहीं कई बार इन अवैध खनन से जुड़े लोगों को सफेदपोशों के साथ ही पैसे के दम पर संरक्षण की बातें भी गाहे बगाहे सामने आती हैं ।कुल मिलाकर कोटद्वार की खोह नदी, सुखरौ नदी तथा मालन नदी अवैध खनन के कारोबारियों द्वारा छलनी कर दी गई है,तथा ये नदियां जहां कोटद्वार क्षेत्र के लिए अवैध खनन के चलते भविष्य के लिए बड़ी आपदा का सबब बन चुकी हैं तो दूसरी ओर अवैध खनन के कारोबारियों के लिए सोना उगल रही हैं ।

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