शंखनाद INDIA/नई दिल्ली-: तीन कृषि कानूनों के विरुद्ध आंदोलन करते हुए किसानों को आज पूरे 45 दिन हो गये हैं, वे डटे हुए हैं और किसी भी हाल में पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। हाड़ कंपाती इतनी सर्दी, वर्षा की बौछार और तेज हवाओं का सामना करते हुए भी वे पूरे जोश में भरे हैं।

शीत लहर, बारिश की बौछारों और छुरी-सी तेज ठंडी हवाओं से बचाव के लिए लगाये गये तंबुओं के लीक होने या उड़ जाने से किसानों के बिस्तर, कपड़े, भोजन सामग्री आदि सबकुछ तर-बतर हो गया। यहां पर यह सोचने की जरूरत है कि हम जब अपने घरों में बंद होकर भी सर्दी में ठिठुर रहे हैं तो खुले आसमान के नीचे किसान किन हालात में हमारा भविष्य सुरक्षित करने के लिए सत्ता और प्रकृति इन दोनों के विरुद्ध संघर्षरत हैं।

इस तरह तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर सरकार के साथ किसानों का गतिरोध लगातार जारी है। रावण, दुर्योधन, हिटलर आदि जैसे नराधमों की तरह सत्ता के अहंकार में मदहोश सरकार के साथ आठवें दौर की वार्ता आज होनी है, लेकिन इस ठंड और बारिश में अब भी दिल्ली की सीमाओं पर डटे हजारों आंदोलनकारी किसानों की सम्मानजनक घर-वापसी की उम्मीद कम है।

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