निलंबित

हरिद्वार में करोड़ों के पंतद्वीप पार्किंग घोटाले मामले में बड़ी कार्रवाई हुई है। भ्रष्टाचार के आरोप में एससी आरके तिवारी को सीबीआई की रिपोर्ट पर निलंबित कर दिया गया है। सीबीआई की जांच के बाद ये कार्रवाई की गई है।

अधीक्षण अभियंता आर के तिवारी पार्किंग घोटाले में सस्पेंड

सिंचाई विभाग हरिद्वार में अधिशासी अभियंता और अधीक्षण अभियंता रहते हुए आरके तिवारी के नाम अनेक अन्य घोटाले दर्ज हैं। सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज का संरक्षण प्राप्त नही होता तो सीबीआई तक जांच की नौबत नही आती और पहले ही कार्रवाई हो जाती क्योंकि उनके कार्यकाल में सिंचाई नहर निर्माण, बाढ़ सुरक्षा योजना में करोड़ों के घोटालों में शासन की जांच में दोषसिद्ध होने के बाद मंत्री ने अपने दरबारी पर आंच नही आने दी।

बहरहाल सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज दरबारी अधिकारी पर चाबुक चल ही गया है। मंत्री लंबे समय से घोटालेबाज अधिकारी को संरक्षण देते चले आ रहे थे। सिंचाई विभाग के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता, आरके तिवारी को पंतदीप पार्किंग, हरिद्वार की वर्ष 2019 नीलामी में हुए भ्रष्टाचार के आरोपों के आधार पर तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।

निलंबन के साथ अल्मोड़ा में किया गया सम्बद्ध

बता दें कि हाईकोर्ट ने पार्किंग ठेका घोटाले की जांच सीबीआई से कराने के आदेश दिए थे। सीबीआई द्वारा जांच और शासन को सौंपी गई अन्वेषण रिपोर्ट में उपलब्ध तथ्यों एवं साक्ष्यों के आधार पर प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया। निलंबन के साथ ही उन्हें कार्यालय मुख्य अभियंता स्तर-2, अल्मोड़ा में सम्बद्ध किया गया है।

ये है पूरा पार्किंग घोटाला मामला

इस मामले में वर्ष 2019 में पंतद्वीप पार्किंग की नीलामी निकाली गई थी जिसमें पार्किंग को तीन वर्षों के लिए नीलाम करने की कार्रवाई शुरू हुई। इसके अंतर्गत पार्किंग में 5.50 करोड़ के विकास कार्य ठेकेदार के स्तर से कराये जाने थे। इसके लिए नीलामी निकाली गई और फिर निरस्त कर दोबारा से नीलामी निकाली जिसमें 5.50 करोड़ के काम को हटा दिया गया।

इस नीलामी में व्यक्ति विशेष को लाभ देने के लिए ऐसी शर्ते लगा दी गई कि पार्किंग का काम करने वाले भाग ही न ले सके। इसमें आर के तिवारी द्वारा उत्तर प्रदेश के दो सगे भाईयों से साठगांठ कर उनके बीच बोली लगवाई। यहां एक भाई ने दूसरे भाई को अनुभव प्रमाणपत्र दिया गया व शर्त के मुताबिक उत्तराखंड में काम करने का अनुभव मांगा गया था। लेकिन आर के तिवारी ने उत्तर प्रदेश के अनुभव को मान्य कर दिया और यहा नीलामी के पेपर ऑनलाइन लिए गए और बोली कार्यालय में लगवाई गई। आर के तिवारी द्वारा बिना अनुबंध के ठेका शुरू करा दिया गया।

इसके खिलाफ एक ठेकेदार ने हाई कोर्ट में रिट दायर कर दी जिसमें सीबीआई जांच के आदेश दिए गया। 8 करोड़ की विभागीय न्यूनतम बोली के सापेक्ष 8.15 करोड़ में ठेका दे दिया जबकि वर्तमान मे ये ठेका 27.37 करोड़ में उठा है। मंत्री का संरक्षण प्राप्त नही होता तो ठेका लेने के अपात्र किए गए ठेकेदार को हाईकोर्ट में छह लंबा मुकदमा नही लड़ना पड़ा। सरकार को जो करोड़ों राजस्व की हानि हुई वह नही होती।

 

इनपुट – रतनमणी डोभाल (हरिद्वार)