राजनीतिक संगठनों के प्रतिनिधियों की एक आनलाइन बैठक आयोजित हुई। बैठक में 41वर्ष पूर्व नशा नहीं, रोजगार दो, काम का अधिकार दो आंदोलन की आगामी 2-3 फरवरी को प्रस्तावित आयोजन के केंद्र में विस्तृत विचार-विमर्श किया गया।

सभी प्रतिभागियों द्वारा समाज में बढते सभी प्रकार के नशे और बेरोज़गारी के खिलाफ एक व्यापक जनआंदोलन खड़ा करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।

वक्ताओं द्वारा तथ्यात्मक आंकड़े सहित कहा गया कि जहाँ एक ओर लोगों की बुनियादी जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही हैं, वहीं दूसरी ओर रोजगार की कमी और बढ़ती व्यापक आर्थिक असमानता के कारण आम युवा भी नशे के शिकार हो रहे हैं। दूसरी ओर सरकार कदम-कदम पर शराब की दुकानें खोल कर घर-घर तक शराब पंहुचाने के लक्ष्य पर काम कर रही है।‌

अधिकांशतया, देश के छात्र-नौजवान इनका शिकार बन रहे हैं। जबकि, आज़ आवश्यकता उनको नशा नहीं, रोजगार देने की है। साथ ही, काम का अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित किये जाने की जरूरत है।

भारत में रोजगार की स्थिति पर चर्चा करते हुए वक्ताओं ने विश्व बैंक के हवाले से बढती बेरोजगारी दर (7.2%) पर चिंता प्रकट की गई। 50% से अधिक युवा बेरोजगार हैं (स्रोत: यूएनडीपी)। रोजगार की कमी के कारण 30% से अधिक लोग गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं (स्रोत: विश्व बैंक)।
नशे के प्रभाव पर चिंता प्रकट करते हुए बताया कि नशे के कारण भारत में हर साल 2 लाख से अधिक लोगों की मौत होती है। (स्रोत: विश्व स्वास्थ्य संगठन)
नशे के कारण ही देश में में 50% से अधिक घरेलू हिंसा की घटनाएं होती हैं (स्रोत: राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण)। नशे के कारण भारत में 30% से अधिक लोगों की सेहत खराब होती है। (स्रोत: विश्व स्वास्थ्य संगठन)

 

 

रोजगार एक बुनियादी जरूरत है, इससे लोगों को आत्मसम्मान और आत्मविश्वास मिलता है, लोगों को अपने परिवार का पालन-पोषण करने का अवसर मिलता है, रोजगार से लोगों को समाज में एक सक्रिय भूमिका निभाने का अवसर मिलता है।
हमारा देश बड़ी जनसंख्या वाला और श्रम प्रधान देश है। लेकिन मुनाफा खोरी के लिए कीमत कम करने के नाम पर रोजगार के हर क्षेत्र में गंभीर कटौती की जा रही है। जो थोड़े से अवसर हैं वे भ्रष्टाचार की भेंट चढ रहे हैं, अधिकारियों, राजनेताओं के बच्चों को उपलब्ध कराए जा रहे हैं।बेरोजगारी एक विकराल सामाजिक समस्या बन गई है, जिसका समाधान आवश्यक है। रोजगार नीतियों की पुनर्समीक्षा और नई जनोन्मुखी रोजगार नीति बनाने की भी जरूरत है।