आपको बता दें कि यह मामला 2021 का है जिसमें मासूम के साथ दुष्कर्म के दोषी नेपाली नागरिक को पिथौरागढ़ की फास्टट्रैक कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। आज इस मामले में उच्च न्यायलय में सुनवाई हुई। जिसमें कोर्ट ने मामले में पिथौरागढ़ की अदालत से रिकॉर्ड तलब किए हैं।
मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई। उच्च न्यायालय ने बच्ची के साथ दुष्कर्म के दोषी नेपाली नागरिक जनक बहादुर को पिथौरागढ़ की फास्टट्रैक कोर्ट से फांसी की सजा सुनाए जाने के मामले में सुनवाई की। कोर्ट ने इस मामले में पिथौरागढ़ की अदालत से रिकॉर्ड तलब किए हैं।
पिथौरागढ़ की फास्टट्रैक कोर्ट ने 24 सितम्बर 2021 को फांसी की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने इसकी पुष्टि करने के लिए उच्च न्यायलय को आदेश भेजा है। अभियोजन के अनुसार अभियुक्त जनक बहादुर नेपाल का रहने वाला है। वह कुछ समय से जाजर देवल थाना क्षेत्र पिथौरागढ़ में अपने दो नाबालिक बच्चों और एक सौतेली पांच साल की बहन के साथ रह रहा था।
आरोप है कि उसने सौतेली बहन के साथ छह माह तक दुष्कर्म किया। उसके साथ मारपीट भी की। जब क्षेत्र के लोगों को घटना का पता चला तो उन्होंने इसकी शिकायत जाजरदेवल थाना पिथौरागढ़ में की।
पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया था।फास्ट ट्रैक कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि यह घटना मानवता को शर्मसार करने वाली है।