कड़ी मेहनत से किया गया काम का हर मुश्किल में हल निकाला जा सकता है,बस इसी बात को पहाड़ के अक्षत रावत ने साबित कर दिखाया है । दरअसल सियाचिन ग्लेशियर में ‘ऑपरेशन ब्लू फ्रीडम अभियान’ इसी महीने सात सितंबर को शुरू हुआ था, जिसे पांच दिनों बाद 15,632 ऊंची ‘कुमार पोस्ट’ पर परचम लहराकर पूरा किया गया। सबसे हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि लगभग 60 किलोमीटर लंबे इस चुनौतीपूर्ण अभियान के सारे सदस्य या तो दृष्टिबाधित हैं या वे अपने पैर गंवा चुके हैं। इतनी ज्यादा संख्या में इन दिव्यांग जनों ने एक साथ इतनी ऊंचाई पर चढ़ने में सफलता हासिल की है, इसलिए यह विश्व रिकॉर्ड है। इन्हीं दिव्यांग जनों में से एक उत्तराखंड के अक्षत रावत भी शामिल थे। इन दिव्यांगों ने पांच दिन में करीब 60 किलोमीटर की चढ़ाई चढ़ी पथरीले रास्ते और चारों तरफ बर्फ ही बर्फ जैसी परिस्थितियों में 8 दिव्यांग जनों की इस टीम ने जिस फौलाद इरादे का परिचय दिया है, उससे भारतीय सेना भी आश्चर्यचकित है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि दिव्यांग जनों की इच्छाशक्ति तो मजबूत होती ही है ,लेकिन उनकी शारीरिक और मानसिक शक्ति भी किसी से कम नहीं होती।अमेरिकी दौरा से लौटने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो पर अपने कार्यक्रम ‘मन की बात’ में इस अभियान दल की सफलता की तारीफ की है और इसे पूरे देश के लिए प्रेरणा बताया है। आपको बता दें कि इस टीम में उत्तराखंड के अक्षत रावत भी शामिल थे। उन्होंने कहा कि दिव्यांग जनों ने जो कर दिखाया, वो हर देशवासी के लिए गर्व की बात है। और जब इस टीम के सदस्यों के बारे में जानेंगे तो आप भी मेरी तरह हिम्मत और हौसले से भर जाएंगे साथ ही पीएम मोदी ने कहा है कि सब जानते हैं कि सियाचिन ग्लेशियर में कितनी भयानक ठंड होती है, जहां टिकना आम इंसान के वश की बात नहीं होती। ऐसी जगह पर देश के 8 दिव्यांग जनों ने जो कामयाबी हासिल की है, पूरे देश के लिए गर्व करने वाली बात है।