शंखनाद INDIA/ नैनीताल : आज उत्तराखंड में या कहे संपूर्ण भारतवर्ष में बेरोजगारी एक बड़ा सा मुद्दा बन के सामने आ रहा है। जिस वजह से अक्सर लोग रोजगार की उम्मीद में हर तरफ भटकते रहते हैं। कभी वह 10 से 15000 की नौकरी के लिए किसी की नौकरी करते हैं या कहें अपने स्टार्टिंग के लिए सपने बुनते रहते हैं पर, उनमें से कुछ ही लोग होते हैं जो इस सपने को पूरा कर पाते हैं। आज उन्हीं में से दो दोस्तों की कहानी उन्हीं की जुबानी शंखनाद इंडिया न्यूज़ आपके पास लेकर आया है तो बिना किसी देरी के हम आपको बताते हैं इन दो दोस्तों की कहानी जिन्होंने अपनी मेहनत के दम पर एक रिजॉर्ट शुरू किया और आज लाखों में हैं इनकी कमाई …..

हम बात कर रहे हैं नैनीताल के रामनगर के दो दोस्तों की जिन्होंने नौकरी छोड़ कर अपना खुद का कैफे शुरू किया है। यह खबर है रामनगर के निवासी दीपक जीना और हिमांशु बिष्ट की। दोनों दोस्तों ने रामनगर से तीन किलोमीटर दूर किसान और पुत्रों नामक एक खूबसूरत सा कैफे बनाया है। नाम से ही नहीं बल्कि यह कैफे अंदर से भी उतना ही आकर्षक और अनोखा है। इस कैफे में इंटीरियर के ऊपर खासा ध्यान दिया गया है। अंदर डिजाइन की गई इस जगह में लोगों के बैठने की जगह के चारों ओर छोटे-छोटे गमले टांग दिए गए हैं और उन पर खूबसूरत पौधे लगाए गए हैं। फर्श पर छोटे कंकड़ और पत्थरों से डिजाइन किया गया है। सामने ही प्रसिद्ध गिरिजा मंदिर है जिस वजह से यहां हर समय पर्यटकों एवं भक्तों की भीड़ लगी रहती है। कैफे में तीनों समय खाने की उत्तम व्यवस्था है। ब्रेकफास्ट के साथ लंच और डिनर का भी पूरा इंतजाम है। अब आपको बताते हैं कि इसकी शुरुआत कैसे हुई।कैफे ऑनर दीपक जीना और हिमांशु बिष्ट करीबी दोस्त हैं। वे दोनों पूर्व में ढिकुली स्थित ताज रिजॉर्ट में काम किया करते थे। दोनों अपना कुछ अलग स्टार्टअप शुरू करना चाहते थे। ताज रिजॉर्ट में काम करने का एक्सपीरियंस उनको बहुत काम आया और दोनों दोस्तों ने फूड स्टार्ट अप खोलने की ठानी। धीरे-धीरे इस सपने को पूरा करने के लिए दोनों दोस्तों ने रिगोरा में एक किराए की जगह ली और अपना खुद का कैफे स्थापित किया। दीपक बताते हैं कि उन्होंने ताज रिजॉर्ट में ट्रेनिंग से लेकर साढ़े चार साल तक और हिमांशु ने दो साल काम किया। इससे उन्हें अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने में बहुत मदद मिली । दीपक और हिमांशु का कहना है कि नौकरी में उनको महीने का 8 से 10 हजार रुपए मिल रहा था। आज वे यहां रोजाना इतना कमा रहे हैं। खुद का रोजगार शुरू करने वाले यह दोनों दोस्त बेरोजगारी के इस दौर में उम्मीद बनकर लोगों के सामने आए हैं।