शंखनाद INDIA/ ऋषिकेश
आज का दिन उन्हें समर्पित है जो कि कैंसर से लड़ रहे हैं। वर्ल्ड कैंसर रोज डे का उद्देश्य सभी कैंसर रोगियों को यह संदेश देना है कि वे इस बीमारी का मजबूत होकर दृढ़ इच्छाशक्ति और धैर्य के साथ का सामना करे। सकारात्मक रहें और सकारात्मक व्यवहार करें स्वस्थ और तनावमुक्त रहने का यह सर्वोत्तम तरीका है।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने आज वर्ल्ड कैंसर रोज डे के अवसर पर कहा कि कैंसर पीड़ितों को उत्तम चिकित्सकीय सुविधाओं के साथ ही आर्थिक और भावनात्मक सहयोग की अत्यंत आवश्यकता होती है। साथ ही कैंसर से लड़ने के लिये प्रबल ईच्छा शक्ति और मनोबल की जरूरत होती है। कैंसर की जंग को जीतने के लिये आशा, उम्मीद और सकारात्मक सोच जरूरी हैे। कैंसर अर्थात् जीवन का अंत नहीं बल्कि तनावमुक्त रहकर इस गंभीर बीमारी पर भी विजय प्राप्त की जा सकती है।
वर्ल्ड कैंसर रोज डे कनाडा की 12 वर्षीय मेलिंडा रोज की याद में मनाया जाता है, जिन्हें आस्किन ट्यूमर का पता चला था, जो रक्त कैंसर का एक दुर्लभ रूप है। डॉक्टरों ने कहा था कि वह कुछ हफ्तों से ज्यादा जीवित नहीं रहेंगी, लेकिन वह छह महीने तक जीवित रहीं। उस छोटी से बच्ची ने अपनी आखिरी सांस तक बचने की उम्मीद नहीं छोड़ी। अपने जीवन के अंतिम छह महीने उसके लिये अत्यंत संघर्ष रहे परन्तु मेलिंडा ने उस समय भी अपने जीवन को सकारात्मक तरीके से जिया।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने आज वर्ल्ड कैंसर रोज डे के अवसर पर कहा कि कैंसर पीड़ितों को उत्तम चिकित्सकीय सुविधाओं के साथ ही आर्थिक और भावनात्मक सहयोग की अत्यंत आवश्यकता होती है। साथ ही कैंसर से लड़ने के लिये प्रबल ईच्छा शक्ति और मनोबल की जरूरत होती है। कैंसर की जंग को जीतने के लिये आशा, उम्मीद और सकारात्मक सोच जरूरी हैे। कैंसर अर्थात् जीवन का अंत नहीं बल्कि तनावमुक्त रहकर इस गंभीर बीमारी पर भी विजय प्राप्त की जा सकती है।
वर्ल्ड कैंसर रोज डे कनाडा की 12 वर्षीय मेलिंडा रोज की याद में मनाया जाता है, जिन्हें आस्किन ट्यूमर का पता चला था, जो रक्त कैंसर का एक दुर्लभ रूप है। डॉक्टरों ने कहा था कि वह कुछ हफ्तों से ज्यादा जीवित नहीं रहेंगी, लेकिन वह छह महीने तक जीवित रहीं। उस छोटी से बच्ची ने अपनी आखिरी सांस तक बचने की उम्मीद नहीं छोड़ी। अपने जीवन के अंतिम छह महीने उसके लिये अत्यंत संघर्ष रहे परन्तु मेलिंडा ने उस समय भी अपने जीवन को सकारात्मक तरीके से जिया।