शंखनाद INDIA/ देहरादून
उत्तराखंड में उपनल कर्मचारी पिछले लंबे से वेतन समेत अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं| लेकिन सरकार की तरफ से कर्मचारियों की मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है| वहीं अब सरकार ने आंदोलन कर रहे इन कर्मचारियों को चेतावनी जारी की है| सरकरा की तरफ से कहा गया है कि अगर आंदोलन कर रहे सभी कर्मचारी अपने कामों पर वापस नहीं लौटते हैं तो उनकी जगह पर नई भर्तियां कर दी जाएंगी| सरकार ने सभी को दो दिन का समय दिया है अगर दो दिन के अंदर सभी कर्मचारी काम पर वापस नहीं लौटते हैं तो उनकी नौकरी खतरे में हो सकती है|
गुरुवार को दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने 17 अप्रैल तक काम पर न लौटने वाले कर्मियों के स्थान पर नई भर्ती करने की चेतावनी जारी की है। उन्होंने कोरोना का हवाला देते हुए हड़ताली कर्मियों से काम पर लौटने की भी अपील की। दरअसल, जबसे उपनल कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर गए हैं तबसे दून समेत विभिन्न अस्पतालों की स्वास्थ्य सेवाओँ में खासा फर्क देखने को मिला है| कर्मचारियों की कमी होने के कारण अस्पताल का सारा काम गड़बड़ गया है| जिस कारण मरीजों की संख्या बढ़ने पर अस्पतालों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है|
खासकर दून अस्पताल में कोरोना के बढ़ते मरीजो को लेकर अस्पताल प्रशासन पर काफी दबाव बढ़ा है| कर्मचारियों की कमी के कारण अस्पताल मरीजों को पूरी सुविधाएं देने में असमर्थ नजर आ रहा है| हालांकि उपनल कर्मचारियों ने 17 अप्रैल को मुख्यमंत्री आवास कूच करने का फैसला लिया है| हड़ताल कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि अगर सरकरा जल्द से जल्द उनकी मांगों को पूरा नहीं करती है तो वह इसके खिलाफ उग्र आंदोलन कर मुख्यमंत्री आवास कूच करेंगे| जिसमें प्रदेश भर से भारी संख्या में उपनल कर्मचारी शामिल होंगे|
उपनल कर्मचारियों की इस चेतावनी के बाद ही सरकारने भी अपनी तरफ से यह चेतावनी जारी की है कि अगर 17 अप्रैल तक सभी कर्मचारी अपने कामों पर वापस नहीं लौटते हैं तो उनसे उनकी नौकरी छीनी जा सकती है और उनके स्थानों पर नई भर्तियां की जाएंगी| दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना ने कोरोना को देखते हुए कार्मिकों से दोबारा सेवा से जुड़ने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि शनिवार 17 अप्रैल तक सेवा न देने वाले कार्मिकों की जगह दूसरे कर्मी उपलब्ध कराने के लिए उपनल को पत्र लिखा जाएगा। बहरहाल अब देखना यह होगा कि आखिर सरकार की अस चेतावनी के बाद उपनल कर्मचारी वापस अपने कामों पर लौटते हैं या फिर सरकार की इस चेतावनी को भी चुनौती देकर सरकार के खिलाफअपना आंदोलन उग्र करते हैं|