शंकनाद INDIA/ देहरादून
स्कूल फीस को लेकर उत्तराखंड शिक्षा सचिव मीनाक्षी सुंदरम ने नया शासनादेश जारी किया है। सोमवार को जारी किए गए इस आदेश में लिखा गया है, कि विगत चार फरवरी 2021 को राज्य में कक्षा छह से 11 तक की कक्षाएं आठ फरवरी से कुछ शर्तों के साथ खोले जाने की अनुमति दी गई है। अब इन कक्षाओं के भौतिक रूप से संचालित होने की तिथि से पूर्ण फीस तथा उससे पहले लॉकडाउन के दौरान केवल ट्यूशन फीस जमा कराई जाएगी। अभिभावकों द्वारा फीस को किस्तों में जमा कराए जाने के संबंध में सकारात्मक फैसला संस्थानों द्वारा ही लिया जाएगा। शासनादेश में कहा गया है, कि इन कक्षाओं के अतिरिक्त अन्य कक्षाओं की ऑनलाइन पढ़ाई की ही अनुमति दी गई है। इसलिए अभिभावकों से केवल ट्यूशन फीस ही ली जाए। बता दें कि छठी से आठवीं और नौवीं-11वीं के विद्यार्थियों से फीस वसूली के मामले में कोई स्पष्ट दिशानिर्देश न होने पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सरकार को 25 मार्च तक स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए थे।
याचिकाकर्ताओं का कहना है, कि 15 जनवरी को सरकार ने शासनादेश जारी कर 10वीं और 12वीं की कक्षाओं को खोलने का आदेश देते हुए कहा था, कि विद्यालय प्रबंधन इन विद्यार्थियों से फीस ले सकते हैं, लेकिन चार फरवरी को सरकार ने फिर एक जीओ जारी कर कक्षा छठी, आठवीं, नौवीं और ग्यारहवीं की कक्षाएं खोलने का आदेश दिया, पर इस शासनादेश में कहीं भी यह उल्लेख नहीं है, कि इन कक्षाओं के छात्रों से फीस ले सकते हैं, या नहीं। इस पर कोर्ट ने सरकार को स्कूल फीस को लेकर 25 मार्च तक स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए थे। स्कूल प्रबंधन की ओर से कोर्ट में प्रार्थनापत्र देकर कहा गया, कि अब लॉकडाउन की स्थिति सामान्य हो चुकी है। स्कूलों में छात्र आने लगे हैं और पढ़ाई भी शुरू हो चुकी है। इसलिए अब उनको फीस लेने दी जाए।मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई थी।
ऊधमसिंह नगर एसोसिएशन इंडिपेंडेंट स्कूल की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा गया था, कि राज्य सरकार ने 22 जून 2020 को एक आदेश जारी किया। जिसमें कहा गया था, कि लॉकडाउन में प्राइवेट स्कूल किसी भी बच्चे का नाम स्कूल से नहीं काटेंगे और उनसे ट्यूशन फीस के अलावा कोई फीस नही लेंगे, जिसे प्राइवेट स्कूलों ने स्वीकार भी किया। लेकिन एक सितंबर 2020 को सीबीएसई ने सभी प्राइवेट स्कूलों को एक नोटिस जारी कर बोर्ड से संचालित सभी स्कूलों को 10 हजार रुपये स्पोर्ट्स फीस, 10 हजार रुपये टीचर ट्रेनिंग फीस और 300 रुपये प्रत्येक बच्चे के पंजीकरण की राशि बोर्ड को चार नवंबर से पहले देने के लिए कहा था। साथ ही यह भी कहा, कि चार नवंबर तक धनराशि का भुगतान नहीं किया जाता है तो प्रत्येक बच्चे के हिसाब से 2000 हजार रुपये पेनल्टी देनी होगी। इसको एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। एसोसिएशन का कहना था, कि न तो वे किसी बच्चे का रजिस्ट्रेशन रद्द कर सकते हैं, और न उनसे ट्यूशन फीस के अलावा कोई फीस ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि सीबीएसई द्वारा फीस वसूली के लिए दबाव डाला जा रहा है जिस पर रोक लगाई जाए, क्योंकि इस समय न तो टीचर्स की ट्रेनिंग हो रही है और न ही खेल गतिविधियां हो रही हैं। सीबीएसई से संचालित स्कूल तो बोर्ड और राज्य के बीच में फंसकर रह गए हैं। अगर वे बच्चों से फीस लेते हैं तो उनके स्कूलों का रजिस्ट्रेशन रद्द होने का खतरा है