हल्द्वानी। हल्द्वानी में जहां दूसरे राज्यों से आने वाले लोग आसानी से स्थायी निवास प्रमाण पत्र हासिल कर लेते हैं, वहीं उत्तराखंड के एक बुजुर्ग को अपनी नागरिक पहचान साबित करने के लिए महीनों से दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।
66 वर्षीय कन्हैया लाल की वृद्धावस्था पेंशन का आवेदन सिर्फ इसीलिए अटका है, क्योंकि उनका आवासीय क्षेत्र सरकारी अभिलेखों में न तो ग्राम पंचायत में दर्ज है और न ही नगर निगम की सीमा में आता है।
शुक्रवार सुबह हल्द्वानी नगर निगम परिसर में बोर्ड बैठक की हलचल के बीच सभागार के बाहर फर्श पर बैठे कन्हैया लाल का दर्द साफ झलक रहा था। मजदूरी कर जीवन बिताने वाले कन्हैया अब उम्र के इस पड़ाव में काम करने में असमर्थ हैं और बुढ़ापे का सहारा बनने वाली पेंशन के लिए भटक रहे हैं।
हाथ में लिए एक आवेदन पत्र को दिखाते हुए उन्होंने बताया कि पिछले एक वर्ष से नेता और अधिकारी कोई भी उस पर हस्ताक्षर करने को तैयार नहीं है। उनकी एक ही मांग है किसी तरह मेयर या संबंधित अधिकारी उन्हें सुन लें।
कन्हैया का घर बरेली रोड स्थित गौजाजाली बिचली क्षेत्र में है, जो पहले ग्राम पंचायत का हिस्सा था। 2018 में नगर निगम सीमा विस्तार के बाद ग्राम पंचायत समाप्त हो गई, लेकिन क्षेत्र का एक हिस्सा निगम वार्ड में शामिल नहीं हो पाया। इसी ‘नो–मैन लैंड’ जैसी स्थिति में कन्हैया सहित आठ–दस दलित परिवारों के मकान आते हैं। सरकारी कागजों में वे न गांव के निवासी माने जा रहे हैं, न नगर के।
समाज कल्याण विभाग की पेंशन प्रक्रिया में स्थानीय पार्षद या प्रधान का संस्तुति पत्र अनिवार्य है, जिसके अभाव में कन्हैया का आवेदन लंबित है। सिटी मजिस्ट्रेट ने आश्वासन दिया है कि तहसील स्तर पर सत्यापन कर समस्या का समाधान करने की हर संभव कोशिश की जाएगी।
