देहरादून। देहरादून और लक्सर की दो ताजा घटनाएं साइबर ठगी के प्रति जागरूकता की विपरीत तस्वीर पेश करती हैं। एक ओर, देहरादून में उत्तराखंड पुलिस के डिप्टी एसपी एआई आधारित फर्जी वीडियो के झांसे में आकर दो लाख रुपये गंवा बैठे, वहीं दूसरी ओर लक्सर के एक गांव में प्रधान की सतर्कता से दर्जनों लोग ठगों के शिकार होने से बच गए।
पहली घटना देहरादून की है, जहां पटेलनगर कोतवाली क्षेत्र में डिप्टी एसपी रविकांत सेमवाल वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के डीपफेक वीडियो से भ्रमित हो गए। इस वीडियो में वित्तमंत्री एक फर्जी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म ‘विक्सो ट्रेड’ की प्रशंसा करती दिख रही थीं।
सेमवाल ने विज्ञापन पर भरोसा करते हुए अपनी जानकारी साझा की। ठगों ने पहले 18,803 रुपये जमा कराए और भरोसा जीतने के लिए 1,687 रुपये का फर्जी मुनाफा भी भेजा। इसके बाद सेमवाल ने दो लाख रुपये एक बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिए। जब राशि निकालने की कोशिश नाकाम रही तब ठगी का पता चला। पुलिस ने मामले में केस दर्ज कर लिया है।
दूसरी घटना लक्सर के मुंडाखेड़ा खुर्द गांव की है, जहां ठग सरकारी योजना के नाम पर 11-11 हजार रुपये दिलाने का लालच दे रहे थे। गांव के 20 से अधिक लोगों को पिछले दो हफ्तों में कॉल आईं। ठगों ने कुछ ग्रामीणों से बैंक व निजी जानकारी लेकर उनके खातों से 50 हजार व 4–5 हजार रुपये तक निकाल लिए। जानकारी मिलते ही ग्राम प्रधान सहदेव परमार ने गांव में मुनादी कराकर लोगों को सतर्क किया, जिससे आगे होने वाली संभावित ठगी टल गई।
दोनों घटनाएं यह संदेश देती हैं कि साइबर अपराधियों की चालें लगातार परिष्कृत हो रही हैं और जागरूकता ही बचाव का सबसे मजबूत हथियार है।
