दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उपनल (UPNL) के माध्यम से नियुक्त कर्मचारियों के नियमितीकरण मामले में उत्तराखंड सरकार को बड़ी राहत देने से इनकार कर दिया है। शीर्ष अदालत ने 15 अक्टूबर 2024 को पारित अपने फैसले की समीक्षा से साफ-साफ इंकार करते हुए राज्य सरकार की समीक्षा याचिकाओं को खारिज कर दिया। इस निर्णय से बड़ी संख्या में उपनल कर्मचारियों के नियमित होने की प्रक्रिया अब सुगम हो गई है।

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस पी.बी. वराले की दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि 15 अक्टूबर 2024 को दिए गए आदेश में किसी भी प्रकार की स्पष्ट त्रुटि नहीं पाई गई, इसलिए इसकी समीक्षा का कोई आधार नहीं बनता।

राज्य सरकार ने वर्ष 2019 से 2021 के बीच दायर कई विशेष अनुमति याचिकाओं (SLPs) और सिविल अपीलों में पारित फैसलों पर पुनर्विचार की मांग की थी, जिसे अदालत ने अस्वीकार कर दिया।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 15 अक्टूबर 2024 को भी उत्तराखंड हाईकोर्ट के उस निर्देश में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया था, जिसमें हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को उपनल के माध्यम से नियुक्त कर्मचारियों को चरणबद्ध तरीके से नियमित करने का आदेश दिया था। शीर्ष अदालत ने उस समय भी राज्य सरकार की अपीलों को खारिज करते हुए हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था।

मामले की शुरुआत 2018 में हुई थी, जब कुंदन सिंह व अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नियमितीकरण योजनाओं के तहत एक वर्ष के भीतर उपनल कर्मचारियों को नियमित करने का निर्देश दिया था।

राज्य सरकार ने इस आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन अब लगातार दूसरी बार अदालत ने सरकार की दलीलों को अस्वीकार कर दिया है।

इस फैसले से उपनल कर्मचारियों की लंबे समय से लंबित नियमितीकरण की उम्मीदों को नया बल मिला है।