देहरादून। उत्तराखंड के युवाओं ने अपने हुनर और मेहनत के दम पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रदेश का नाम रोशन किया है। खेल, शिक्षा, सिनेमा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में राज्य के युवा लगातार अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं। अब आवश्यकता है कि इस युवा ऊर्जा को सकारात्मक दिशा दी जाए, ताकि वे समाज और राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका को और मजबूत कर सकें।
दून विश्वविद्यालय की ट्रेनिंग एवं प्लेसमेंट विभाग की निदेशक डॉ. स्वाति बिष्ट ने कहा कि सरकार को युवाओं के कौशल विकास पर विशेष ध्यान देना होगा। शिक्षा और कौशल के बीच की खाई को पाटने के साथ ही युवाओं की काउंसलिंग के लिए कार्यक्रम चलाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि युवाओं को आत्मविश्वास और अनुकूलन क्षमता बढ़ाकर वास्तविक दुनिया में अवसर तलाशने होंगे तथा स्वरोजगार की दिशा में आगे बढ़ना होगा।
प्रदेश के 25 वर्षों के इतिहास में अनेक अवसरों पर युवाओं ने अपनी प्रतिभा से अलग मुकाम हासिल किया है। हाल ही में भारत की महिला क्रिकेट टीम की सदस्य स्नेह राणा, जुजित्सु चैंपियन प्रज्ञा जोशी, शूटर राधिका थापा, और सिविल सेवा परीक्षा 2024 में चयनित सलोनी गौतम, शिल्पा चौहान, अनुप्रिया, अंजू भट्ट, तुषार डोभाल और गौरव छिमवाल जैसे युवाओं ने प्रदेश का गौरव बढ़ाया है।
सिनेमा जगत में सृष्टि लखेड़ा की फिल्म एक था गांव को 69वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ गैर-फीचर फिल्म का पुरस्कार मिला, जबकि टिहरी के शेफ माधव बहुगुणा अमेरिका में अपनी पाककला से प्रदेश का नाम ऊंचा कर रहे हैं। ऐसे उदाहरण बताते हैं कि यदि युवा ऊर्जा को सही दिशा मिले, तो वही राज्य की सबसे बड़ी पूंजी बन सकती है, जो उत्तराखंड को नई ऊंचाइयों तक ले जाए।
