नई दिल्ली। कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि भारत को ऐसी शिक्षा व्यवस्था की आवश्यकता है, जो देश की विविधता को प्रतिबिंबित करे और केवल कुछ लोगों का विशेषाधिकार न बन जाए।
उन्होंने कहा कि शिक्षा ही आजादी की असली नींव है और यह तभी सार्थक होगी जब हर व्यक्ति को स्वतंत्र रूप से सोचने और सवाल करने की आज़ादी मिले।
राहुल गांधी ने यह विचार पेरू के पोंटिफिकल कैथोलिक विश्वविद्यालय और चिली विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ संवाद के दौरान व्यक्त किए। इस बातचीत का विषय शिक्षा, लोकतंत्र और वैश्विक भू-राजनीति रहा।
उन्होंने कहा कि शिक्षा की शुरुआत जिज्ञासा से होती है और यह तभी प्रगति कर सकती है जब सामाजिक या राजनीतिक भय से मुक्त होकर विचार और प्रश्न करने की स्वतंत्रता मिले।
राहुल गांधी ने कहा कि भारत को ऐसी शिक्षा प्रणाली अपनानी चाहिए, जो वैज्ञानिक और आलोचनात्मक सोच को प्रोत्साहित करे तथा देश की बहुसांस्कृतिक विविधता को दर्शाए।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने यह भी कहा कि भारत को एक वैकल्पिक विनिर्माण प्रणाली (मैन्युफैक्चरिंग सिस्टम) की आवश्यकता है, जो लोकतांत्रिक ढांचे में विकसित हो सके। उन्होंने सुझाव दिया कि अमेरिका या पेरू के साथ साझेदारी इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
कांग्रेस ने राहुल गांधी की इस बातचीत का वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर साझा करते हुए लिखा, भारत को एक वैकल्पिक विनिर्माण प्रणाली की जरूरत है, जो लोकतंत्र में विकसित हो सके। पेरू या अमेरिका के साथ साझेदारी इस दिशा में आगे का रास्ता हो सकती है।
पार्टी ने बताया कि राहुल गांधी का यह संवाद उनके दक्षिण अमेरिकी दौरे का हिस्सा है। वे इस समय कोलंबिया, ब्राजील, पेरू और चिली की एक सप्ताह लंबी यात्रा पर हैं, जहां वे शिक्षा, लोकतंत्र और वैश्विक सहयोग जैसे मुद्दों पर विभिन्न समूहों और छात्रों से बातचीत कर रहे हैं।